दिल्ली शराब घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद मनीष सिसोदिया ने अपनी उस याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट से वापस ले लिया है जिसमें उन्होंने बीमार पत्नी से मिलने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी। सिसोदिया की रिट पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 11 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। बीते 13 दिनों के दौरान अदालत ने फैसला नहीं सुनाया तो दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम ने शर्मसार होकर खुद ही अपनी याचिका वापस ले ली।

हाईकोर्ट ने 11 मई को सिसोदिया की अपील पर फैसला किया था रिजर्व

हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने सिसोदिया की अंतरिम जमानत की याचिका पर जिस दिन सुनवाई की थी उसी दिन एक अनूठी व्यवस्था आप नेता के लिए कर दी थी। जस्टिस ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक को आदेश दिया था कि वो जेल में वीडियो कांफ्रेंसिग का इंतजाम करे। एक दिन छोड़कर हर एक दिन शाम को तीन से चार बजे के बीच सिसोदिया की उनकी पत्नी से बात कराई जाए। कोर्ट का कहना था कि बीमार पत्नी का हाल तो उनको मिलना चाहिए। लेकिन सिसोदिया की याचिका पर कोर्ट ने तुरंत कोई फैसला नहीं दिया। 11 मई को उनकी याचिका पर फैसला रिजर्व रख लिया गया था।

स्पेशल कोर्ट ने भी दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम को नहीं दी थी बेल

सिसोदिया को दिल्ली शराब घोटाले में सीबीआई ने अरेस्ट किया था। उसके बाद मनी लांड्रिंग के केस में ईडी ने भी उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। उसके बाद से वो तिहाड़ जेल में बंद हैं। सीबीआई और ईडी दोनों ही एजेंसियों ने सिसोदिया को शराब घोटाले का मास्टर माइंड करार दिया है। दिल्ली की स्पेशल कोर्ट के जज एमके नागपाल ने भी एजेंसियों की दलील पर मुहर लगाते हुए सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था। जज ने अपनी तीखी टिप्पणी में कहा था कि सिसोदिया अगर बाहर निकले तो गवाहों को धमकाने के साथ साक्ष्यों से छेड़छाड़ करेंगे।

सीबीआई के मुताबिक साउथ लॉबी को फायदा पहुंचाने के लिए बदली गई थी नीति

ईडी और सीबीआई का सिसोदिया पर आरोप है कि साउथ लॉबी को फायदा पहुंचाने के लिए उन्होंने दिल्ली के आबकारी कानून को ताक पर रख दिया। सरकार ने नई आबकारी नीति को साउथ लॉबी के फायदे के लिए बनाया। हालांकि दिल्ली सरकार का कहना है कि नई आबकारी नीति को खुद उप राज्यपाल ने ही मंजूरी दी थी। अगर उन्हें कुछ गलत लगता था तो वो तत्काल प्रभाव से सरकार के फैसले को रोक सकते थे।