जयंतीलाल भंडारी
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा प्रकाशित वित्तवर्ष 2023-24 की अक्तूबर-दिसंबर तिमाही के आंकड़ों के अनुसार भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 8.4 फीसद की वृद्धि हुई है। यह वैश्विक मंदी के बीच भारत के तेज विकास का संकेत है। कुछ ऐसे प्रमुख कारण हैं, जिनसे दुनिया की कई विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाएं मंदी में पहुंच गई हैं। जहां यूक्रेन-रूस युद्ध ने ईंधन की कीमतों को प्रभावित किया है, वहीं अमेरिका-चीन की प्रतिद्वंद्विता ने आपूर्ति शृंंखलाओं को बाधित किया है। पश्चिम एशिया में इजराइल-हमास युद्ध के कारण अस्थिरता दिख रही है, वहीं दुनिया के कई देशों में महामारी के बाद समुचित सुधार नहीं हुआ है।
दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं- जापान और ब्रिटेन ने कहा है कि वित्तवर्ष 2023-24 की लगातार दो तिमाहियों से उनके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर ऋणात्मक है। जापान की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ चुकी है, जबकि यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी, संघर्ष कर रही है। जर्मनी में महंगाई चरम पर है और विकास में ठहराव आ गया है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में बेहतर प्रदर्शन करने वाले देशों में शामिल अमेरिका भी इस आर्थिक खतरे में शामिल है। इस बीच दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश चीन भी तेज वृद्धि के दिनों से दूर हो गया है। अभी भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है। उससे आगे अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान हैं।
माना जा रहा था कि भारत 2026 में जापान को पीछे छोड़ कर दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, लेकिन अब भारत और जापान की अर्थव्यवस्था में बहुत थोड़ा अंतर रह गया है। इसलिए जापान की अर्थव्यवस्था से इसी साल भारतीय अर्थव्यवस्था आगे निकल सकती है। हालांकि दुनिया भर में भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली आकर्षक अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में रेखांकित हो रहा है, लेकिन फिर भी कई आर्थिक चुनौतियों पर ध्यान देना होगा। देश के सामने डालर की तुलना में रुपए के गिरते मूल्य की चुनौती भी है। भारत को आइएमएफ की उस चेतावनी पर भी ध्यान देना होगा, जिसमें कहा गया है कि भारत में केंद्र और राज्यों का सामान्य सरकारी कर्ज जीडीपी के सौ फीसद के पार पहुंच सकता है।
पिछले दिनों वित्त मंत्रालय की तरफ से भारतीय अर्थव्यवस्था पर जारी विस्तृत रिपोर्ट ‘द इंडियन इकोनामी: ए रिव्यू’ में कहा गया है कि अगले तीन साल में ही भारतीय अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन डालर की हो जाएगी और भारत आर्थिक आकार के लिहाज से अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कोरोना महामारी और उसके ठीक बाद भू-राजनीतिक उथल-पुथल से जहां दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं दो फीसद की विकास दर हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही हैं, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया को आश्चर्यचकित करते हुए आगामी वित्तवर्ष 2024-25 में भी सात फीसद की विकास दर हासिल कर सकती है। रपट में यह भी रेखांकित किया गया है कि पिछले एक दशक में सरकार के साहसिक आर्थिक निर्णयों ने देश की आर्थिक बुनियाद को मजबूत बनाया है। ऐसे में कृषि से लेकर विनिर्माण और डिजिटल सेवा की बदौलत सेवा क्षेत्र में मजबूती आई है।
उल्लेखनीय है कि दो फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने कहा कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में चमकता हुआ सितारा है। पिछले दिनों चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ में प्रकाशित आलेख में भारत की बढ़ती आर्थिक और रणनीतिक ताकत की तारीफ करते हुए कहा गया है कि भारत तेज आर्थिक विकास के साथ एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा है।
इसमें कोई दो मत नहीं कि इस समय भारत के पास टिकाऊ विकास के अभूतपूर्व अवसर हैं। वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक मंचों पर भारत को विशेष अहमियत, अमेरिका और रूस दोनों महाशक्तियों के साथ भारत की मित्रता, तेजी से बढ़ते भारतीय बाजार के कारण दुनिया के अधिकतर देशों की भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की ललक, प्रवासी भारतीयों द्वारा वर्ष 2023 में 125 अरब डालर से अधिक निवेश के साथ नए आर्थिक तकनीकी विकास के लिए बढ़ते कदम, चीन के प्रति बढ़ती नकारात्मकता के मद्देनजर भारत नए वैश्विक आपूर्तिकर्ता देश के रूप में उभरकर सामने आया है।
जी-20 के आयोजन के बाद दुनिया में वैश्विक आपूर्ति शृंखला में सुदृढ़ता और विश्वसनीयता के मद्देनजर भारत की अहमियत बढ़ेगी। प्राकृतिक संपदा संपन्न अफ्रीकी संघ को जी-20 में शामिल कराकर भारत ने इन देशों से नए आर्थिक लाभों की उम्मीदों को बढ़ाया है। इससे अब भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) भी तेजी से बढ़ेगा। ज्ञातव्य है कि वैश्विक स्तर पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट के रुझान के बीच भारत दुनिया के सर्वाधिक एफडीआइ प्राप्त करने वाले बीस देशों की सूची में आठवें पायदान पर रहा है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी 616 अरब डालर से अधिक की ऊंचाई पर पहुंच गया है।
इस समय भारतीय शेयर बाजार भी दुनिया भर में ऊंचाइयों पर है। साथ ही अब उद्योग, कृषि, सेवा क्षेत्र के भी ऊंचाई पर पहुंचने की संभावना है। विनिर्माण, कृषि, निर्माण, सीमेंट, बिजली, होटल, परिवहन, वाहन उद्योग, दवा उत्पादन, रसायन, खाद्य प्रसंस्करण और कपड़ा क्षेत्र, ई-कामर्स, बैंकिंग, मार्केटिंग, डेटा एनालिसिस, साइबर सिक्योरिटी, आईटी, पर्यटन, खुदरा व्यापार, आतिथ्य आदि क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन करते दिखाई देंगे। इनके साथ-साथ भारत दुनिया का नया विनिर्माण केंद्र बनने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ता दिखाई देगा।
हमें 2030 तक सात ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था और 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए सालाना 7-8 फीसद विकास दर की जरूरत होगी। साथ ही वैश्विक विकास का शक्ति केंद्र बनने और टिकाऊ विकास के लिए अब इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि हमारे स्कूल, कालेज और विश्वविद्यालय भविष्य का कारखाना बनें। छोटे और मध्यम उद्योगों, कृषि और हस्तशिल्प क्षेत्र के लिए मार्केटिंग की नई रणनीति बनाई जाए। इससे रोजगार भी बढ़ेंगे।
हमें इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि जो देश दुनिया में विकसित और शक्तिशाली बने हैं तथा जो देश गहन संकट से बाहर निकले हैं, उनकी सफलता में अन्य चीजों के साथ राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण भी अहम रहा है। ऐसे में हमें अब विकसित भारत के लिए भारतीय मूल्यों, संस्कृतियों और अपने नायकों की वीरता की सराहना के साथ विविधता के बीच एकजुटता बढ़ानी और प्रवासी भारतीयों में भारत के प्रति अधिक लगाव पैदा करना होगा। इससे देश में आम आदमी की खुशहाली के साथ टिकाऊ विकास और वैश्विक विकास का केंद्र बनने के अवसर पैदा होंगे। 2030 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2047 तक विकसित भारत बनने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ सकेगा।