सियाचिन में छह दिन बर्फ में दबे रहने के बावजूद जिंदा निकाले गए लांस नायक हनमनथप्पा 11 फरवरी को जिंदगी की जंग हार गए। उन्होंने 11.45 बजे दिन में आखिरी सांस ली। ले. जनरल एसडी दुहान ने एक प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि कैसे उन्हें हर कोशिश के बावजूद नहीं बचाया जा सका। उन्होंने बताया कि जब 9 फरवरी को उन्हें आरआर हॉस्पिटल लाया गया था तब उनके शरीर का तापमान सामान्य था। पर दिल की धड़कन तेज थी और ब्लडप्रेशर लो था। उनके शरीर के अंगों को 5-6 दिन से ब्ल्ड सप्लाई नहीं मिली थी। कोशिकाओं में ऑक्सीजन और ग्लूकोज की कमी हो गई थी। उन्हें फौरन खून चढ़ाया गया। लेकिन उनके शरीर का मेटाबोलिज्म इस बर्दाश्त नहीं कर सका। उनके दिमाग में सूजन हो गया। दिमाग की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी रुक गई। तमाम कोशिशों के बावजूद उनके दिल-दिमाग की स्थिति बिगड़ती ही गई। शरीर का सिस्टम काम नहीं करने लगा। उनकी किडनी ने तो अस्पताल लाए जाने के छह घंटे के अंदर ही जवाब दे दिया था।
आपको बता दें कि हनमनथप्पा छह दिन तक सियाचिन में बर्फ में दबे रहने के बाद जिंदा निकले थे। अस्पताल में उनसे मिलने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी पहुंचे थे। इस हादसे में उनके 9 साथियों की मौत हो गई थी। हनमनथप्पा मद्रास रेजीमेंट में तैनात थे। वे कर्नाटक के रहने वाले थे।
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अंतिम दर्शन को पहुंचे केजरीवाल और राहुल
Rahul Gandhi pays last respects to Lance Naik Hanamanthappa at Brar Square (Delhi) pic.twitter.com/jJSqH6dsGN
— ANI (@ANI_news) February 11, 2016
Three Service Chiefs pay last respects to Lance Naik Hanamanthappa at Brar Square (Delhi) pic.twitter.com/cUbJQvcGJm
— ANI (@ANI_news) February 11, 2016
Delhi CM Arvind Kejriwal pays last respects to Lance Naik Hanamanthappa at Brar Square (Delhi) pic.twitter.com/Fo9HbYK5sm
— ANI (@ANI_news) February 11, 2016
He leaves us sad & devastated. RIP Lance Naik Hanumanthappa. The soldier in you remains immortal. Proud that martyrs like you served India.
— Narendra Modi (@narendramodi) February 11, 2016
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आइए जानते हैं सियाचिन की उन चुनौतियों के बारे में जो दुश्मन की गोली से भी ज्यादा खतरनाक हैं