सर्वेश कुमार
देश में श्री अन्न की पैदावार को प्रोत्साहित करने के लिए बोआई क्षेत्र में भी तेजी से बढ़ोतरी की जा रही है। इससे घरेलू जरूरतों को पूरा करने सहित श्री अन्य को निर्यात को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। कृषि वैज्ञनिकों की कोशिश है कि दुनिया में भारत का पहला स्थान हो। इसके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) ने ज्वार, बाजरा, रागी सहित दूसरे मोटे अनाज की 218 किस्में विकसित की हैंं।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक साल में श्री अन्न के खेती के लिए 6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की बढ़ोतरी के बाद देश में कुल 134.91 लाख हेक्टेयर में श्री अन्न की बुआई की गई। अगले वर्षों के दौरान क्षेत्र को और बढ़ाया जाएगा।
इससे मोटे अनाज (श्री अन्न) के निर्यात में अगले कुछ वर्षों में भारत को दूसरे से पहले स्थान पर पहुंचाने का लक्ष्य है। वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय श्री अन्न वर्ष घोषित किया गया है। मोटे अनाज के तौर पर वर्षों से देश में श्री अन्न का इस्तेमाल हो रहा है। देश में मोटे अनाज को श्री अन्न की पहचान मिलने के बाद इसे तेजी से प्रोत्साहित किया जा रहा है।
श्री अन्न की 218 किस्में की गईं दो साल में विकसित
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर)के सहायक महानिदेशक डीके यादव के मुताबिक श्री अन्य के उत्पादन में भारत पहले स्थान पर जबकि निर्यात में दूसरे स्थान पर है। पिछले दो वर्ष के दौरान बाजरा की 66, ज्वार की 64 सहित कुल 218 किस्में विकसित की गई हैं। उन्होंने बताया कि 1950 से मोटे अनाज के उत्पादन में लगातार गिरावट हो रही थी।
ज्वार में 70, बाजरा में 33 जबकि रागी में 53 फीसद की गिरावट के बाद इसे दोबारा प्रोत्साहित किया जा रहा है। नई किस्में विकसित की गई है और अधिक क्षेत्र में मोटे अनाज की खेती हो रही है। नई प्रजातियों के आने से गुणवत्ता और पैदावार में और बढ़ोतरी होगी। देश में इसी रफ्तार से श्री अन्न का उत्पादन बढ़ता रहा तो जल्द ही निर्यात के मामले में भारत का पहला स्थान होगा।
निर्यात में नंबर-एक बनने का लक्ष्य
वर्ष 2021-22 में भारत का मोटे अनाजों का निर्यात 64 मिलियन डालर है। अप्रैल-दिसंबर 2023 की अवधि में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में मोटे अनाजों के निर्यात में 12.5 फीसद की बढ़ोतरी हुई। मोटे अनाज के निर्यात के मामले में भारत दूसरे स्थान पर हैं। लगातार खेती के लिए रकबा बढ़ाया जा रहा है ताकि अगले कुछ वर्षों में इसके निर्यात में भारत का नाम दुनिया में पहले नंबर पर पहुंचाया जा सके।