पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में राज्य इलेक्शन कमीशन (SEC) के साथ ममता बनर्जी सरकार को करारा झटका लगा है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने कैंडिडेट्स के दस्तावेजों से हेरफेर के मामले में सीबीआई को जांच करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट का कहना था कि सरकार की मशीनरी मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से नहीं कर सकती है, क्योंकि आरोप उनके ही एक अधिकारी पर है। लिहाजा सीबीआई इस मसले की जांच करे।

जस्टिस अमृता सिन्हा ने अपने आदेश में कहा कि सीबीआई पांच जुलाई तक अपनी जांच पूरी करके 7 जुलाई को कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करे। उसके बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी। खास बात है कि इसके अगले ही दिन पंचायत चुनाव कराए जाने हैं। ये फैसला सरकार के लिए झटका है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि Uluberia 1 ब्लाक के पंचायत रिटर्निंग अफसर ने कैंडिडेट्स के दस्तावेजों की जो भी स्क्रूटनी की थी उस प्रक्रिया की वीडियो रिकार्डिंग संभाल कर रखी जाए। कुछ विपक्षी दलों से जुड़े कैंडिडेट्स ने हाईकोर्ट में रिट दायर करके कहा था कि उनके दस्तावेजों के साथ रिटर्निंग अफसर ने छेड़छाड़ की थी। हालांकि राज्य चुनाव आयोग का कहना था कि वो मामले की जांच करके सच का पता लगा रहे हैं।

जस्टिस बोलीं- राज्य चुनाव आयोग नहीं कर सकता निष्पक्ष जांच

कोर्ट का कहना था कि राज्य चुनाव आयोग कैसे निष्पक्ष जांच कर सकता है। जबकि आरोप उनके ही एक अधिकारी पर लगा है। जस्टिस ने कहा कि रिटर्निंग अफसर पर सही से चुनाव कराने की जिम्मेदारी थी। लेकिन उस पर ही आरोप लगा है कि वो दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर रहा है।

ध्यान रहे कि बीते दिन हाईकोर्ट ने तकरीबन पांच ऐसे आदेश जारी किए थे जिनमें उन कैंडिडेट्स को चुनाव में उतरने की अनुमति दी गई थी जिनका आरोप था कि उनके नाम जानबूझकर राज्य चुनाव आयोग के अधिकारियों ने फाइनल लिस्ट से हटा दिए। कोर्ट न आयोग को हिदायत दी थी कि इन सभी कैंडिडेट्स को चुनाव में उतरने की अनुमति दी जाए। राज्य चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली हाईकोर्ट को लगातार खटक रही है।