ब्राजील ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन लेने से इनकार कर दिया है। दो करोड़ डोज का आर्डर ब्राजील ने कंपनी को दिया है। वहां एक अप्रैल से बड़ा टीकाकरण अभियान चलना था। फिलहाल इस फैसले से भारत बायोटेक को बड़ा झटका लगा है। कंपनी का कहना है कि ब्राजील सरकार की आपत्तियों को दूर करने के लिए बातचीत जारी है। जल्दी कोई समाधान निकल आएगा।
ब्राजील ने कहा है कि भारत में बन रही कोवैक्सीन GMP (गुड मैन्युफेक्चरिंग प्रैक्टिस) पर खरा नहीं उतर रही है। भारत में अभी कोवैक्सीन के साथ कोविशील्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है। कंपनी का दावा है कि फेज-3 के ट्रायल में कौवैक्सीन की क्षमता 83 फीसदी मिली है। अमेरिका के बाद कोरोना ने अगर किसी देश में सबसे ज्यादा कहर बरपाया है तो वह ब्राजील ही है।
गौरतलब है कि भारत बायोटेक ने फरवरी के आखिरी सप्ताह में ब्राजील के साथ कोवैक्सीन टीके की 20 मिलियन खुराक की आपूर्ति करने की पुष्टि की थी। ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 के टीके ‘कोवैक्सीन’ की दो करोड़ खुराक खरीदने के लिए भारत की दवा कम्पनी भारत बायोटेक के साथ यह समझौता किया था। यह समझौता उस दिन किया गया, जब ब्राजील में संक्रमण से मौत का आंकड़ा ढाई लाख पर पहुंच गया।
ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो की तरफ से बताया गया था कि कोवैक्सीन टीके की 80 लाख खुराक की पहली खेप मार्च में आएगी। लेकिन अब सरकार ने वैक्सीन के इंपोर्ट पर ही बैन लगा दिया है। ब्राजील टीकों की कमी के कारण अपनी 21 करोड़ की आबादी में से चार फीसदी लोगों को ही टीके लगा पाया है। ब्राजील ने लोगों में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए ही भारत बायोटेक के साथ करार करके वैक्सीन मंगवाने का फैसला किया था।
सूत्रों का कहना है कि भारत बायोटेक को इससे करारा झटका लगेगा। कोविशील्ड के लेकर पहले ही संशय के बादल छा रहे हैं। अब कोवैक्सीन को लेकर उठ रहे सवालों से कंपनी को दो-चार होना है। इससे वैक्सीन की साख पर बट्टा लगेगा। कंपनी को तत्काल प्रभाव से ब्राजील के स्वास्थ्य विभाग की आपत्तियों को दूर करने की कोशिश करनी होगी। दूसरी तरफ कोरोना की रफ्तार जिस तरह से बढ़ रही है, उसमें वैक्सीन के इंपोर्ट पर बैन लगाने से वायरस और तेजी से अपना असर डालेगा।