महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी सरकार में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा हैं। वहीं हाल ही में इस गठबंधन के दलों में आपस में विरोधाभास देखने को मिला है। दरअसल शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार के सामने एनसीपी के कथित तौर पर भाजपा के साथ नरमी बरतने का मुद्दा उठाया है। बता दें कि भाजपा के प्रति एनसीपी के नरम रूख से उद्धव ठाकरे चिंतित बताये जा रहे हैं।

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक शिवसेना के सूत्र कई ऐसे उदाहरणों की तरफ इशारा करते हैं जब एनसीपी को भाजपा के खिलाफ मजबूत आवाज उठानी चाहिए थी लेकिन उस समय वो “बैकफुट” पर नजर आई। उदाहरण के लिए भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को मुंबई पुलिस ने फोन टैपिंग मामले में साइबर विंग केबीसी ऑफिस में पेश होने के लिए कहा था। लेकिन 13 मार्च को मुंबई पुलिस ने अपना फैसला बदल दिया।

इसके बाद फडणवीस का बयान लेने के लिए पुलिस उनके घर गई। बता दें कि गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी एनसीपी नेता के पास है। ऐसे में पुलिस विभाग भी इसी मंत्रालय के पास है। इससे शिवसेना खुश नजर नहीं आ रही।

इसके अलावा फरवरी में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एनसीपी नेता नवाब मलिक को गिरफ्तार किया था। इसको लेकर शिवसेना और भाजपा के बीच जुबानी जंग देखने को मिली। इस दौरान एनसीपी नेता और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने मीडिया में कहा था कि इस समय दोनों पक्षों को शांत होना चाहिए और चीजों को नियंत्रण से बाहर होने से रोकना चाहिए।

इतना ही नहीं पिछले साल महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर से हाथापाई के आरोप में भारतीय जनता पार्टी के 12 विधायकों को निलंबित कर दिया गया था। इस मामले में भी अजीत पवार ने बयान दिया था कि विधायकों को एक साल के लिए सस्पेंड करने से अच्छा कुछ घंटों या कुछ दिनों की सजा दी जा सकती है।

इसके अलावा एनसीपी नेता मजीद मेमन ने अभी हाल ही में अपने एक ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की। उन्होंने लिखा, “अगर नरेंद्र मोदी लोगों का जनादेश जीत रहे हैं और उन्हें दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में भी दिखाया जाता है, तो उनमें कुछ गुण या उनके अच्छे काम जरूर होंगे जो उन्होंने किए होंगे और वो विपक्षी नेताओं में नहीं हैं।”

वहीं शिवसेना के नरमी वाले बयान पर एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को नाम न बताने छापने की शर्त पर बताया, “हालांकि हम आक्रामक रूप से भाजपा का मुकाबला कर रहे हैं, लेकिन शिवसेना के कुछ नेताओं को लगता है कि एनसीपी को और अधिक आक्रामक होना चाहिए क्योंकि गृह विभाग हमारे साथ है।”

वहीं भाजपा पर आक्रामक होने को लेकर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि अगर कोई अपनी प्रतिशोध की राजनीति में लिप्त है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हमें भी वही काम करना चाहिए।