Uddhav Thackeray Political Strategy: कुछ महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में बेहद निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना में टूट की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। इसे लेकर उद्धव ठाकरे बेहद गंभीर हैं और उन्होंने पार्टी को एकजुट रखने के लिए कदम आगे बढ़ाए हैं। याद दिलाना जरूरी होगा कि महाराष्ट्र में पिछले साल के अंत में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अगुवाई वाले महाविकास अघाड़ी गठबंधन (एमवीए) को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था।

विधानसभा चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) को 20 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 16 और एनसीपी (शरद पवार गुट) को सिर्फ 10 सीटें मिलीं।

दूसरी ओर, बीजेपी के नेतृत्व में महायुति गठबंधन ने 230 सीटों पर जोरदार जीत हासिल की थी। इसमें बीजेपी ने 132 सीटें जीतीं, जबकि उसके सहयोगी दलों में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं।

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उद्धव ठाकरे ने सियासी हालात को भांपते हुए 20 और 25 फरवरी को मुंबई में अपने सांसदों और विधायकों की बैठक बुलाई है। इस दौरान पार्टी सुप्रीमो उद्धव ठाकरे शिवसेना के कार्यकर्ताओं से राजनीतिक हालात को लेकर विचार-विमर्श करेंगे। इसके अलावा विधानसभा में शिवसेना (यूबीटी) का नेता कौन होगा, इस मामले पर भी चर्चा हो सकती है। बताना होगा कि महाराष्ट्र में जल्द ही स्थानीय निकाय के चुनाव भी होने हैं।

राजन साल्वी ने छोड़ी पार्टी

शिवसेना यूबीटी के सूत्रों के मुताबिक, कोंकण से पूर्व विधायक राजन साल्वी सहित कई पार्टी नेताओं और पदाधिकारियों के पार्टी छोड़कर उप मुख्यमंत्री एकांत शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल होने के बाद पार्टी ऐसे मामलों से निपटने के लिए रणनीति तैयार कर रही है।

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साल्वी के पार्टी छोड़कर जाने के बाद, कोंकण क्षेत्र से शिवसेना (यूबीटी) के एकमात्र विधायक भास्कर जाधव ने भी पार्टी के काम करने के तरीके पर असंतोष जताया है। जाधव ने कहा है कि अगर पार्टी को वापसी करनी है तो उसे अपने संस्थापक बाल ठाकरे की विरासत पर काम करना चाहिए। इसी बीच, सोमवार को पार्टी को एक झटका और लगा जब बांद्रा वेस्ट के उप ब्लॉक प्रमुख जितेंद्र जनवाले ने एमएलसी अनिल परब से नाराजगी जताते हुए शिवसेना (यूबीटी) को अलविदा कह दिया। इसके अलावा कुछ नेताओं के बीजेपी में जाने की चर्चा है।

कभी मजबूत गढ़ हुआ करता था कोंकण

एक वक्त में जब शिवसेना में टूट नहीं हुई थी, तब कोंकण का इलाका पार्टी का मजबूत गढ़ हुआ करता था। अब उद्धव ठाकरे इस इलाके में पार्टी को फिर से मजबूत करना चाहते हैं और इसके लिए पार्टी वहां रैलियां आयोजित करने जा रही है। पार्टी सांसद संजय राउत ने कहा है कि पहली रैली जल्द ही संगमेश्वर में होगी और उसके बाद चिपलून और लांजा सहित रत्नागिरी के अन्य हिस्सों में भी पार्टी रैलियां करेगी।

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कोंकण के इलाके में फिर से शिवसेना (यूबीटी) को जिंदा कर पाना उद्धव ठाकरे के लिए एक बड़ी चुनौती है क्योंकि शिवसेना में हुई टूट के बाद यहां के कई दिग्गज नेता एकनाथ शिंदे के साथ चले गए। कोंकण में दो प्रमुख इलाके आते हैं। मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), और पालघर, रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग के ग्रामीण जिले।

इसके अलावा विधानसभा चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) मराठवाड़ा के आठ जिलों की 46 सीटों में से केवल तीन सीटें ही जीत सकी थी, जबकि मराठवाड़ा में पार्टी का मजबूत आधार माना जाता है।