कुछ दिन पहले पोस्टर के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने वाली शिवेसना ने अब अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए मोदी की खूब तारीफ की है। ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा गया है कि मोदी अकेले हर मुसीबत से लड़ रहे हैं। फिर भी उन्हें विरोधियों की आलोचना झेलनी पड़ रही है।
प्रधानमंत्री के रेडियो प्रोग्राम ‘मन की बात’ पर संपादकीय में ‘सामना’ ने लिखा- ‘मन की बात’ में मोदी की बेचैनी साफ झलकती है। उनकी इस बेचैनी को देखकर मन भी उद्विग्न होता है। अकेला आदमी देश को खड़ा करने के लिए और जनता के दुख निवारण के लिए जितना कष्ट उठा रहा है सचमुच उसका कोई जवाब नहीं। जबकि विरोधी लगातार उसके खिलाफ टिप्पणियों का प्रहार करते हैं। प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार से लड़ रहे हैं, आर्थिक संकट से लड़ रहे हैं, सरकार में मौजूद वाचालवीरों से लड़ रहे हैं। फिर बीच-बीच में दुनिया का दौरा कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विलंबित कामों को भी दिशा प्रदान करते हैं और स्वदेश लौट कर आम आदमी की समस्याओं पर मन की बात में अपना मन खोलते हैं। बिहार जैसे राज्यों में चुनाव का भार वहन करते हैं। इतना अधिक काम अकेले प्रधानमंत्री को करना पड़ता है। अनंत बाधाओं को मात देते हुए मोदी ने अपना तेरहवां भाषण दिया। छोटी नौकरियों के बारे में मोदी ने बड़ी बात की है। मोदी शीघ्र ही अशोक च्रक युक्त स्वर्ण मुद्रा भी जारी करने जा रहे हैं। सरकार गरीबों के लिए और क्या-क्या करे? सरकार को पांच वर्षों तक काम पूरा करने दो, उसके बाद हिसाब मांगो।

एक सप्ताह पहले ही शिवसेना ने मुंबई में अपने मुख्यालय के बाहर एक बड़ा पोस्टर लगा कर प्रधानमंत्री सहित भाजपा के बड़े नेताओं पर निशाना साधा था। पोस्टर में नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और कई दूसरे भाजपा नेताओं को शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के आगे हाथ जोड़े दिखाया गया था। पोस्टर में यह भी लिखा है, ‘जो लोग ढोंग कर रहे हैं, उन्हें वह दिन नहीं भूलना चाहिए जब वे बाला साहेब के आगे हाथ जोड़े रहते थे।’
माना जा रहा था कि शिवसेना ने भाजपा नेताओं को अपमानित करने के लिए यह पोस्टर लगाया है। लेकिन, शिवेसना के राजेंद्र राउत ने कहा था कि हमने यह पोस्टर अपने पुराने दिनों को याद करने के लिए लगाया है, किसी नेता को अपमानित करने के लिए नहीं। उधर, भाजपा नेता गिरीश व्यास ने कहा था कि अगर शिवसेना सोचती है कि हम उद्धव या आदित्य ठाकरे के साथ बाल ठाकरे की तरह ही पेश आएंगे तो यह उनकी गलतफहमी है।
हाल के दिनों में कई मौकों पर शिवसेना और भाजपा का मतभेद सार्वजनिक हुआ है। महाराष्ट्र में बीफ बैन का मुद्दा हो या पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के चीफ की बीसीसीआई प्रमुख से मुलाकात का विरोध या फिर सुधींद्र कुलकर्णी पर स्याही फेंके जाने का मामला, हर वक्त दोनों पार्टियों की टकरार सार्वजनिक हुई है।