मुंबई। भगवा गठबंधन से अलग होने के एक दिन बाद शिवसेना ने आज भाजपा पर नाराजगी जाहिर करते हुए इसे ‘‘महाराष्ट्र की शत्रु’’ करार दिया और अगले माह होने जा रहे विधानसभा चुनावों के लिए अपने मूल मराठी समर्थक एजेंडा पर लौटने के संकेत दिए।

शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र ‘‘सामना’’के संपादकीय में कहा है ‘‘हमारे अन्य (महायुति) गठबंधन सहयोगी चाहते थे कि शिवसेना-भाजपा गठबंधन कायम रहे। इससे भी बड़ी बात यह थी कि महाराष्ट्र के 11 करोड़ लोग क्या चाहते हैं। जिन लोगों ने इन भावनाओं को आहत किया वे महाराष्ट्र के शत्रु हैं।’’
संपादकीय में लिखा गया है ‘‘यह (गठबंधन को तोड़ना) संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के 105 मराठी शहीदों का अपमान है।’’

शिवसेना ने, वैचारिक रूप से समान हिंदुत्व समर्थक दो दलों के बीच पुराना गठबंधन टूटने को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताया है।

संपादकीय में लिखा है ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले 25 साल से हिंदुत्व की विचारधारा से बंधा हुआ शिवसेना-भाजपा गठबंधन खत्म हो गया। हमने यह सुनिश्चित करने के लिए आखिर तक गंभीर प्रयास किए कि भाजपा तथा महायुति के अन्य दलों के साथ गठबंधन बना रहे।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके, भारतीय मुस्लिमों की ‘‘देशभक्ति’’ की सराहना करने वाले हालिया बयान के लिए सीधे निशाने पर लेते हुए संपादकीय में कहा गया है ‘‘कल तक जो लोग इस खेमे में प्रार्थना कर रहे थे अब वे दूसरे खेमे में नमाज पढ़ रहे हैं।’’

मुखपत्र के संपादकीय में आगे कहा गया है ‘‘जल्दी ही यह वास्तविकता उजागर हो जाएगी कि जो छोड़कर (भाजपा) गए वे ‘पितृपक्ष’ के काग (कौवे) हैं जो बने रहे वे मावले (छत्रपति शिवाजी के सैनिकों के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द) हैं।’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायाण राणे ने हाल ही में आरोप लगाया था कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार भारतीय रिजर्व बैंक की विदेशी मुद्रा विनिमय शाखाओं को दिल्ली स्थानांतरित कर देश की वित्तीय राजधानी मुंबई का महत्व कम करना चाहती है। इस बारे में संपादकीय में कहा गया है ‘‘आज कांग्रेस के नेता राज्य का महत्व कम करने की साजिश की निंदा कर रहे हैं। लेकिन मोरारजी देसाई भी कांग्रेस की ही देन थे।’’

महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के तौर पर मोरारजी देसाई के कार्यकाल के दौरान संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के 105 स्वयंसेवक मारे गए थे। ये लोग चाहते थे कि मराठी भाषी लोगों के लिए एक अलग राज्य गठित किया जाए जिसकी राजधानी बंबई हो।

सामना में प्रकाशित संपादकीय में कहा गया है कि कांग्रेस और उसके नेताओं को एकीकृत मुंबई और महाराष्ट्र की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि शिवसेना और उसका केसरिया ध्वज महाराष्ट्र की रक्षा करेगा।

भाजपा-शिवसेना गठबंधन और कांग्रेस…राकांपा गठबंधन टूटने के बाद महराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बहुकोणीय मुकाबला होने का जिक्र करते हुए संपादकीय में कहा गया है ‘‘महाराष्ट्र के जीवन की अमावस्या खत्म हो गई है और नवरात्रि के शुभ दिनों की शुरूआत हो गई है।’’

पार्टी के सूत्रों ने बताया कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे कल मुंबई में एक सार्वजनिक रैली में अपने विचार रखेंगे। उद्धव ने गठबंधन टूटने पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

इस बीच भाजपा ने शिवसेना की ‘‘महाराष्ट्र के दुश्मन’’ संबंधी टिप्पणी को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताया है।

भाजपा महासचिव और महाराष्ट्र में पार्टी के मामलों के प्रभारी राजीव प्रताप रूडी ने प्रेस ट्रस्ट को बताया ‘‘गठबंधन टूटने के एक दिन बाद शिवसेना का ऐसी टिप्पणियां करना निराशाजनक है। उनसे अपेक्षा है कि वे हमारे बारे में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणियां करने से बचेंगे।’’

रूडी ने कहा कि शिवसेना को यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि भाजपा छोटे गठबंधन सहयोगियों को ‘‘छलने’’ की कार्रवाई का हिस्सा बनेगी।

उन्होंने कहा ‘‘उनके दिमाग में शायद मुख्यमंत्री का पद हो और हमारे सामने उन्होंने जो फार्मूला पेश किया उसका नतीजा हमारे छोटे सहयोगियों के पूरी तरह खात्मे के रूप में होता। वे हमारे गठबंधन के बड़े छलिया होते और शिवसेना हमसे इस छल का हिस्सा होने की उम्मीद नहीं कर सकती थी।’’

रूडी ने कहा कि शिवसेना के कठोर भाषा के उपयोग से राज्य में कांग्रेस…राकांपा का भ्रष्टाचार खत्म करने के लक्ष्य को कोई समर्थन नहीं मिलेगा।

उन्होंने कहा कि 25 साल बाद महाराष्ट्र की जनता को एक पार्टी की सरकार चुनने का मौका मिला है जो उनकी सेवा कर सके और भाजपा जनता की पहली पसंद होगी।