शिवसेना ने कांग्रेस पर अपनी ‘गंदी राजनीति’ साधने के लिए संविधान में संशोधन करने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की उस टिप्पणी का समर्थन किया जिसमें उन्होंने कहा था कि सेकुलर (धर्मनिरपेक्ष) एक ऐसा शब्द है जिसका ‘सबसे ज्यादा दुरुपयोग’ हुआ। पार्टी ने कहा कि बाद के काल में दलित आबादी को यह महसूस हुआ कि कांग्रेस ने वोट बैंक की खातिर अपने ‘राजनीतिक स्वार्थ’ के लिए ‘फूट डालो और राज करो’ का फार्मूला अपनाया है।

पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में शिवसेना ने कहा कि कांग्रेस ने यह सुनिश्चित किया कि जाति, पंथ और धर्म की दीवार हमेशा बनी रहे। हमारे देश में धर्मनिरपेक्ष शब्द का दुरुपयोग किया गया है। इसके अनुसार, ‘देश एक संप्रभु राष्ट्र बना रहे यही सुनिश्चित करने के लिए संविधान का निर्माण किया गया। लेकिन गंदी राजनीति के लिए इसमें कई संशोधन किए गए। शाह बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले को प्रभावहीन करने के लिए संविधान संशोधन किया गया। इस तरह के दृष्टांतों के कारण ही देश की संप्रभुता खतरे में है।’

राजनाथ ने गुरुवार को लोकसभा में बीआर आंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर ‘भारत के संविधान के प्रति प्रतिबद्धता’ विषय पर चर्चा के दौरान कहा था कि देश में ‘सेकुलर’ शब्द का आज सर्वाधिक दुरुपयोग हो रहा है। इसके दुरुपयोग को खत्म किया जाना चाहिए। इस शब्द के व्यापक दुरुपयोग के कारण समाज में तनाव के कई मामले हुए हैं। सिंह ने कहा कि संविधान निर्माता आंबेडकर ने कभी भी संविधान की प्रस्तावना में ‘सेकुलर’ (धर्मनिरपेक्ष) शब्द को जोड़ने के बारे में नहीं सोचा लेकिन 1976 में एक संशोधन के जरिए इसे जोड़ा गया। उन्होंने कहा कि संविधान के 42वें संशोधन के जरिए इसकी प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द जोड़ा गया। हमें इस पर आपत्ति नहीं है।

लोकसभा में हुई बहस का हवाला देते हुए ‘सामना’ के संपादकीय में अांबेडकर, उनका संवैधानिक ढांचा और उसे लागू करने का श्रेय खुद लेने पर कांग्रेस की आलोचना की गई है। शिवसेना ने कहा कि बाद के काल में दलित आबादी को यह महसूस हुआ कि कांगे्रस जिसने लोकसभा में आंबेडकर की हार सुनिश्चित की, उसने ‘बांटो और राज करो’ का फार्मूला अपनाया और अपने स्वार्थ की राजनीति के लिए वोट बैंक की खातिर आंबेडकर का अनुसरण करने वालों का इस्तेमाल किया। संपादकीय में यह राय दी गई है कि संविधान दिवस मनाया जाना तभी सार्थक होगा जब स्वार्थी नेताओं को इन शब्दों का इस्तेमाल नहीं करने का ज्ञान आ जाए।