Shimla Sanjauli Masjid Dispute: शिमला की संजौली मस्जिद को लेकर विवाद थमता नहीं दिख रहा है। कुछ दिन पहले शिमला नगर निगम के कमिश्नर की अदालत ने आदेश दिया था कि इस मस्जिद की तीन मंजिलों को गिरा दिया जाए क्योंकि ये अवैध हैं। कमिश्नर की अदालत ने वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष से कहा था कि वह दो महीने में इस आदेश को लागू करें। लेकिन अब इस आदेश के खिलाफ ऑल हिमाचल मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशन (AHMO) मैदान में उतर आई है।
संजौली मस्जिद में कुल पांच मंजिलें हैं।
AHMO ने कहा है कि वह इस आदेश को अपीलीय अदालत में चुनौती देगी और अगर जरूरत पड़ी तो इस मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएगी। यहां यह बताना जरूरी होगा कि संजौली की मस्जिद कमेटी अवैध हिस्सों को गिराए जाने के कमिश्नर की कोर्ट के आदेश को स्वीकार कर चुकी है।
पिछले महीने से चल रहा है बवाल
शिमला में यह बवाल पिछले महीने से चल रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मस्जिद में निर्माण अवैध तरीके से किया गया है। यह पूरा मामला तब तूल पकड़ा था जब हिमाचल की कांग्रेस सरकार में मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा में कहा था कि बिना इजाजत के मस्जिद में अतिरिक्त निर्माण किया गया है। उन्होंने कहा था कि जिस जमीन पर यह निर्माण हुआ है उसका मालिकाना हक हिमाचल प्रदेश की सरकार के पास है। उनका वीडियो सोशल मीडिया पर जबरदस्त ढंग से वायरल हुआ था और इस पूरे मामले में हिमाचल प्रदेश की सरकार बैकफुट पर आ गई थी।
बवाल बढ़ने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि प्रदेश में सभी धर्मों का सम्मान है और किसी को भी कानून व्यवस्था हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
12 सितंबर को मस्जिद के अवैध हिस्सों को गिराने की मांग को लेकर बड़ा प्रदर्शन हुआ था और इसमें 10 लोग घायल हुए थे। इसके बाद मुस्लिम कल्याण कमेटी ने नगर आयुक्त को एक पत्र देकर अवैध हिस्सों को सील करने की मांग की थी और कहा था कि वह खुद ही इसे गिरा देगी। लेकिन अब AHMO के प्रवक्ता नजाकत अली हाशमी ने कहा है कि जिन लोगों ने मस्जिद की अवैध मंजिलों को गिराने की सहमति दी थी, उन्हें ऐसा करने का कोई हक नहीं था और इस मामले में कमिश्नर की अदालत ने जो फैसला दिया है वह तथ्यों के खिलाफ है।
वक्फ बोर्ड की है जमीन: हाशमी
हाशमी का कहना है कि यह जमीन वक्फ बोर्ड की है और यह मस्जिद 125 साल पुरानी है। जिन मंजिलों के अवैध होने की बात कही गई है वे गैरकानूनी नहीं हैं। हाशमी का कहना है कि इसके नक्शों को अफसरों से मंजूरी मिलने से पहले ही कमिश्नर की कोर्ट ने मंजिलों को गिराने का आदेश दे दिया।
हाशमी का कहना है कि कमिश्नर की कोर्ट ने यह भी पता करने की कोशिश नहीं की कि जमीन का मालिक कौन है और कौन इस मामले की पैरवी कर सकता है। हाशमी का कहना है कि मस्जिद कमेटी के जिन लोगों ने मंजिलें गिराने को लेकर नगर आयुक्त को पत्र दिया था, वे किसी मुस्लिम संगठन के पदाधिकारी नहीं हैं और उन्हें वक्फ बोर्ड से भी ऐसा कोई अधिकार नहीं मिला है। उनका कहना है कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है और मुस्लिम समुदाय इससे सहमत नहीं है।
दूसरी ओर संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ का कहना है कि हमें कमिश्नर की अदालत के आदेश से कोई परेशानी नहीं है और हम अपने शब्दों पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि हमारी ओर से 12 सितंबर को ही मस्जिद की अवैध मंजिलों को गिराने की पेशकश की जा चुकी है।