केरल के सरकारी कर्मचारी शेख हसन खान ने दुनिया की सबसे ऊंची ज्वालामुखी पर्वत चोटी ‘ओजोस डेल सालाडो’ को फतह किया है। इस पर्वत की ऊंचाई 22,600 फुट से भी ज्यादा बताई जाती है और इस चोटी पर चढ़ाई कर शेख हसन खान ने देश के गौरव को बढ़ाने का काम किया है।‘ओजोस डेल सालाडो’ दुनिया की सांतवी सबसे ऊंची चोटी है और चिली की सबसे ऊंची चोटी है।
शेख हसन की पहचान ऊंचे पर्वत की चोटी को फतह करने से है, शेख केरल राज्य के कर्मचारी हैं। उन्होंने दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट एकानकागुआ पर चढ़ाई की थी। इससे पहले खान ने दिसंबर में अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट विंसन को फतह किया था।
इसके अतिरिक्त वो तीन अन्य सबसे ऊंची चोटियों पर फतह हासिल कर चुके हैं। इनमें माउंट एवरेस्ट (एशिया), माउंड डेनाली (उत्तर अमेरिका), माउंट किलिमंजारो शामिल है। दुनिया की सबसे ऊंचे ज्वालामुखी पर्वत को फतह करने के बाद शेख ने कहा था कि,मैंने अपने सीने पर ‘जलवायु परिवर्तन वास्तविक है’ का नारा लिखा है।
इसे ओजोस डेल सालाडो के शीर्ष पर प्रदर्शित किया है। हसन खान केरल के पंडालम के रहने वाले हैं और केरल सरकार की नौकरी से छुट्टी पर हैं। यात्राओं की योजना बनाने के लिए खान अपने करीबी दोस्तों की मदद लेते हैं और समाज में जरूरत पड़ने पर हमेशा किसी न किसी तरह से लोगों की मदद करते हैं। पिछले साल खान जब माउंट एवरेस्ट पर चढ़ रहे थे, तो उनके पास आक्सीजन खत्म हो गई थी।
इस घटना को लेकर उन्होंने कहा था कि यह एक मौत के करीब से गुजरने का अनुभव था क्योंकि उनका शरीर धीरे-धीरे जमने लगा था, और एक नया आक्सीजन सिलेंडर हासिल करने में कामयाब होने से पहले करीब 20 मिनट तक संघर्ष जारी रहा। उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा लगा की अब नहीं बच पाऊंगा,पर भगवान का शुक्र है कि मैं बच गया। हसन खान में पर्वतारोहण का जुनून इस कदर है कि उन्होंने इसके लिए कर्ज भी लिया है।
खान की पत्नी पेशे से एक शिक्षिका हैं। उनकी छह साल की बेटी है। खान का कहना है कि मेरे इस काम के लिए पत्नी का पूरा समर्थन मिला है। उनका कहना है कि आने वाले समय में वह और भी रिकार्ड बनाने के लिए मेहनत करते रहेंगे। खान का कहना है कि हर अभियान के लिए वह यह सुनिश्चित करते हैं कि जिस भी चोटी पर विजय प्राप्त करें, तिरंगा फहराया जाए। उनका मकसद एकता का संदेश देने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के प्रति लोगों को जागरूक करना है।