बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना चार दिवसीय भारत दौरे पर है। शेख हसीना ने दिल्ली के हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा के मुद्दों, जल-बंटवारे और भारतीय नेतृत्व के साथ संभावित आर्थिक साझेदारी पर चर्चा हुई।
शेख हसीना आज जो कर रही हैं वह केवल इसलिए उल्लेखनीय नहीं है क्योंकि बांग्लादेश के पाकिस्तान से अलग होने और एक स्वतंत्र देश बनने के बाद पिछले 50 वर्षों में ऐसा कभी नहीं किया गया है बल्कि हसीना आज जो कर रही हैं, वह 57 साल पहले दोनों पड़ोसियों के बीच पैदा हुई चीन की कठोर दीवार को तोड़ रही है।
पूर्वोत्तर के आठ सिस्टर स्टेट्स, असम, मेघालय, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नागालैंड, सिक्किम और मिजोरम एक मात्र 22 किमी-चौड़े स्लिवर के माध्यम से शेष भारत से जुड़े हुए हैं। यह क्षेत्र तक पहुंचने वाले सामानों की लागत को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाता है। हर भारत सरकार ने बांग्लादेश से अपने क्षेत्र में पारगमन और व्यापार की अनुमति देने के लिए कहा है।
द प्रिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक कई धार्मिक मुद्दों के बावजूद और चीन द्वारा भारतीय मॉडल के अनुसार आर्थिक विकल्प पेश करने के बावजूद शेख हसीना ने दिखाया कि उनका बहुत कुछ और बांग्लादेश की नियति भारत के पास है। शेख हसीना भारत और चीन के बीच मौजूदा मतभेदों को समझती हैं, लेकिन वह उस पर अपनी “नाक” नहीं डालना चाहती हैं। स्पष्ट रूप से हसीना समझती हैं कि भले ही चीन अब तक एक समृद्ध राज्य है और यही वजह है कि बांग्लादेश बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का सदस्य है, साथ ही भारत अधिक घनिष्ठ पड़ोसी है।
हाल के कुछ वर्षों में भारत और बांग्लादेश के बीच परिवहन को आसान बनाने के लिए रेलवे, बोट व अन्य माध्यमों की शुरुआत की गई। पश्चिम बंगाल में कोलकाता से त्रिपुरा के अगरतला तक (बांग्लादेश में चटगांव के माध्यम) भारतीय सामानों के ट्रांसशिपमेंट का ट्रायल रन जुलाई 2020 में हुआ। पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी से ढाका जाने वाली मिताली एक्सप्रेस ट्रेन 1965 के बाद पहली बार फिर से शुरू हुई।