Bangladesh Crisis: बांग्‍लादेश में अब नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस का राज कायब हो गया। उनकी टीम ने सत्‍ता संभाल ली है। शपथग्रहण से पहले उन्‍होंने शेख हसीना के सत्‍ता से बेदखल होने को ‘दूसरी आजादी’ करार दिया। साथ ही, प्रदर्शनकार‍ियों को नसीहत भी दी। कहा, अगर आप देश में शांत‍ि चाहते हैं, स्‍थ‍िरता चाहते हैं, तो अब एक भी गोली नहीं चलनी चाह‍िए। सरकार लोगों की सुरक्षा सुनिश्च‍ित करेगी। हम सब मिलकर एक नया बांग्लादेश बनाएंगे। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुहम्‍मद यूनुस को बधाई दी। हाथ से सत्ता जाने के बाद शेख हसीना अभी भारत में शरण लिए हुए हैं। छात्रों के हिंसक और खूनी आंदोलन के बाद शेख हसीना ने अपने पद को छोड़ दिया, लेकिन आपको ये पढ़कर हैरानी होगी कि शेख हसीना पहली बार भारत आकर नहीं रह रही हैं, बल्कि इससे पहले भी वो भारत में छह साल रह चुकी हैं, तब उनको देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शरण दी थी।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के लाजपत नगर की एक बिल्डिंग में शेख हसीना का आवास था, जिसमें उन्होंने काफी लंबा वक्त गुजारा। जानकारी के मुताबिक यहां बांग्लादेश की एंबेसी हुआ करता था। जहां शेख हसीना ने परिवार संग छह साल बिताए। मिली जानकारी के अनुसार बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पहले 56 रिंग रोड लाजपत नगर-3 में रहीं और कुछ समय बाद फिर लुटियंस दिल्ली के पंडारा रोड में एक घर में शिफ्ट हो गई।

अब चलता है वहां होटल

जानकारी के मुताबिक, लाजपत नगर रिंग रोड पर स्थित इस बिल्डिंग में शेख हसीना ने काफी समय बिताया था ऐसा बताया जाता है कि 56 रिंग रोड लाजपत नगर 3 में स्थित इस बिल्डिंग में पहले बांग्लादेश का उच्च आयोग हुआ करता था, लेकिन मौजूदा समय में आज इस बिल्डिंग के कई पार्टीशन हो चुके हैं। मौजूदा समय में बिल्डिंग में आईवीएफ सेंटर, शोरूम और एक होटल चलाया जा रहा है।

पिता की हत्या के बाद शेख हसीना ने ली थी शरण

15 अगस्त 1975 को उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान और परिवार के 17 लोगों की हत्या वहां के फौज के एक धड़े ने कर दिया था। तब उनके सामने रहने का संकट उत्पन्न हो गया था। इस दौरान उन्होंने भारत से मदद मांगी और सरकार ने उनके शरण की व्यवस्था की थी। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने यहां पर समय बिताया था। बाद में वो पंडारा रोड पर शिफ्ट हो गई। पंडारा रोड का उनका घर तीन कमरों का था। घर के आसपास सुरक्षा कर्मियों का पहरा रहता था।

प्राइवेट प्रॉपर्टी बन गई

बताया जा रहा है कि बाद में उस बिल्डिंग को खरीद लिया गया और यह प्राइवेट प्रॉपर्टी बन गई, जिसके आज कई हिस्से हो गए हैं। भारत में 6 साल रहने के बाद 17 मई 1981 को शेख हसीना अपने वतन बांग्लादेश लौट गईं। उनके समर्थन में लाखों लोग एयरपोर्ट पहुंचे थे, लेकिन उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। भ्रष्टाचार के आरोपों में कारावास सहित कई चुनौतियों का सामना करने के बाद सेख हसीना आखिरकार 1996 में सत्ता में आई और पहली बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनी।

जब भारत ने शेख हसीना और उनके परिवार को शरण दी

15 अगस्त 1975 को शेख हसीना के पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान, जो बांग्लादेश के संस्थापक थे, उनकी और उनके परिवार के 18 सदस्यों के साथ नवगठित देश का राष्ट्रपति बनने के लगभग चार वर्ष बाद निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस दुखद घटना ने पूरे बांग्लादेश में सनसनी फैला दी, जिससे देश राजनीतिक उथल-पुथल और सैन्य शासन की चपेट में आ गया।

इंदिरा गांधी ने दी थी शेख हसीना को शरण

उस समय शेख हसीना अपने पति एम.ए. वाजेद मिया के साथ पश्चिम जर्मनी में थीं। कोई अन्य विकल्प न होने पर उन्होंने भारत में शरण ली, एक ऐसा देश जिसने पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के 1971 के मुक्ति संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने शेख हसीना की मदद की तथा उन्हें सुरक्षा और शरण दी।

इंटरव्यू में शेख हसीना ने कई बातों को किया था खुलासा

शेख हसीना ने 2022 में दिए एक इंटरव्यू में मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद के क्षणों को याद करते हुए कहा था, “इंदिरा गांधी ने तुरंत सूचना भेजी कि वह हमें सुरक्षा और आश्रय देना चाहती हैं… हमने यहां (दिल्ली) वापस आने का फैसला किया, क्योंकि हमारे मन में यह था कि अगर हम दिल्ली गए, तो दिल्ली से हम अपने देश वापस जा सकेंगे। और तब हम जान पाएंगे कि परिवार के कितने सदस्य अभी भी जीवित हैं।”

जर्मनी छोड़ने के बाद शेख हसीना और उनके परिवार को, जिसमें उनके दो छोटे बच्चे भी शामिल थे, शुरू में नई दिल्ली में एक सुरक्षित घर में रखा गया था, जहां उनकी जान को ख़तरा होने के कारण उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया था। उन्होंने दिल्ली में बिताए अपने समय को “गुप्त निवास” के रूप में वर्णित किया था।

दिल्ली पहुंचने पर शेख हसीना ने इंदिरा गांधी से मुलाकात की और उन्हें अपने परिवार के 18 सदस्यों की हत्या के बारे में पता चला। उन्होंने 2022 में समाचार एजेंसी एएनआई से कहा था, “उन्होंने (इंदिरा गांधी ने) हमारे लिए सारी व्यवस्थाएं कीं। मेरे पति के लिए नौकरी और पंडारा रोड वाला घर। हम वहीं रहे।”

शेख हसीना और प्रणब मुखर्जी के बीच संबंध

इस दौरान हसीना ने कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी और गांधी परिवार सहित भारतीय नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए। भारत में रहने से न केवल उन्हें सुरक्षा मिली बल्कि उन्हें ऐसे संबंध बनाने का मौका भी मिला जो बाद में उनके राजनीतिक करियर में अहम भूमिका निभाएंगे।

दिल्ली में हसीना पहले 56 रिंग रोड, लाजपत नगर-3 में रहती थीं, उसके बाद वे लुटियंस दिल्ली के पंडारा रोड स्थित मकान में रहने लगीं। हसीना को आज भी वे दिन याद हैं और वे भारत और गांधी परिवार की आभारी हैं। जब भी वे भारत आती हैं, तो गांधी परिवार के सदस्यों से अक्सर मिलती हैं।

छह वर्षों के बाद 17 मई 1981 को हसीना बांग्लादेश लौट गईं, जहां उन्हें अवामी लीग का महासचिव चुन लिया गया।

द वीक की रिपोर्ट के अनुसार, प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी पुस्तक ‘प्रणब, माई फादर’ में हसीना और मुखर्जी परिवार के बीच संबंधों के बारे में लिखा है।

शर्मिष्ठा मुखर्जी लिखती हैं, “वे जल्द ही हमारे परिवार का हिस्सा बन गईं और जन्मदिन, समारोह और वार्षिक पिकनिक जैसे सभी पारिवारिक अवसरों पर मौजूद रहते थीं।” कुछ चुनिंदा पारिवारिक मित्रों के अलावा हसीना और उनके परिजनों की असली पहचान किसी को नहीं पता थी। प्रणब की पत्नी शुभ्रा अजनबियों से हसीना का परिचय अपनी बहन के रूप में कराती थीं।