राकांपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने शनिवार को कहा कि वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम के आत्मसमर्पण की इच्छा को लेकर उनसे संपर्क किया था लेकिन इसके लिए रखी गई शर्तें राज्य सरकार को स्वीकार्य नहीं थीं। यह पेशकश मुंबई में 1993 में हुए सिलसिलेवार धमाकों के बाद की गई जब शरद पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे।
पवार ने यहां संवाददाताओं से कहा कि यह सच है कि राम जेठमलानी ने दाऊद के लौटने की इच्छा के बारे में प्रस्ताव दिया था। लेकिन शर्त थी कि दाऊद को जेल में नहीं रखा जाएगा बल्कि उसे घर में नजरबंद रहने की इजाजत दी जाएगी। यह स्वीकार्य नहीं था। विचार विमर्श के बाद हमने कहा कि उसे कानून का सामना करना होगा।
पूर्व केंद्रीय मंत्री से जेठमलानी के बयान के बारे में पूछा गया था कि 1993 मुंबई के सिलसिलेवार विस्फोटों का मुख्य आरोपी दाऊद भारतीय अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करना चाहता था लेकिन राज्य में कांग्रेस सरकार के मुखिया तत्कालीन मुख्यमंत्री पवार ने उसकी पेशकश ठुकरा दी थी।
दाऊद के समर्पण पर विवाद नया नहीं है। जेठमलानी ने 2006 में ही यह दावा किया था कि दाऊद आत्मसमर्पण करना चाहता था पर सरकार ने इसकी इजाजत नहीं दी। सीबीआइ के पूर्व प्रमुख और मुंबई विस्फोटों की जांच की अगुआइ कर चुके नीरज कुमार भी इस तरह के बयान दे चुके हैं।