महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी (MVA) में शामिल तीनों दल- कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। इसमें से भी शरद पवार की पार्टी सिर्फ 10 सीट ही जीत सकी जबकि उसने 87 सीटों पर चुनाव लड़ा। इतने खराब प्रदर्शन के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि इस पार्टी का भविष्य क्या होगा क्योंकि शरद पवार के भतीजे अजित पवार की पार्टी ने महाराष्ट्र के चुनाव में कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है। अजित पवार की पार्टी को 41 सीटें मिली हैं।
शरद पवार के सामने सबसे बड़ी चुनौती अजित पवार ही हैं।
शरद पवार जैसे अनुभवी और दिग्गज नेता की पार्टी का यह प्रदर्शन उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों का मनोबल तोड़ने वाला है जबकि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद यह माना जा रहा था कि इस बूढ़े शेर में अभी भी काफी ऊर्जा और ताकत है और महाराष्ट्र की जनता में उनकी अच्छी पकड़ है क्योंकि तब MVA के साथ 10 सीटों पर चुनाव लड़कर उन्होंने 8 सीटों पर जीत हासिल की थी।

याद दिलाना होगा कि 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अविभाजित शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ दिया था। शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी तब महाराष्ट्र में बने MVA गठबंधन का मुख्य रणनीतिकार शरद पवार को ही माना गया था लेकिन 2023 में शरद पवार को बड़ी बगावत का सामना करना पड़ा, जब उनके भतीजे अजित पवार अपने विधायकों और समर्थकों के साथ पार्टी से अलग हो गये थे।
अजित पवार बीजेपी और एकनाथ शिंदे की महायुति की सरकार में शामिल हो गए थे और उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया था।
नई सरकार में ताकतवर होंगे अजित पवार
विधानसभा चुनाव में इस खराब प्रदर्शन के बाद शरद पवार के सामने अपने कार्यकर्ताओं, सांसदों, विधायकों को एकजुट रख पाना बहुत बड़ी चुनौती होगी क्योंकि उनके भतीजे अजित पवार का नई सरकार में उपमुख्यमंत्री बनना तय माना जा रहा है। ऐसी हालत में ताकत और समर्थन अजित पवार के पास ज्यादा दिखाई दे रहा है।
शरद पवार इस विधानसभा चुनाव में न सिर्फ अपने भतीजे अजित पवार से सीटों के मामले में पीछे रहे बल्कि इससे पहले बगावत के दौरान उनके कई समर्थक, विधायक और सांसद अजित पवार के साथ चले गए थे। इसके बाद पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह भी अजित पवार गुट के पास चला गया हालांकि इस मामले में अभी अदालत में लड़ाई चल रही है।

महाराष्ट्र के खराब नतीजों के बाद शरद पवार ने कहा है कि वह लोगों से मिलते रहेंगे और उनके मुद्दों की लड़ाई लड़ेंगे लेकिन उनके लिए इस लड़ाई को लड़ना आसान नहीं होगा और उन्हें पार्टी में नया कैडर खड़ा करना ही होगा। शरद पवार के करीबी सहयोगी और पार्टी के महासचिव जयदेव गायकवाड द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहते हैं कि पार्टी को रोडमैप की सख्त जरूरत है।
शिवाजी विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान विभाग के पूर्व प्रमुख और राजनीतिक मामलों के जानकार प्रकाश पवार ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि शरद पवार का वक्त तेजी से खत्म हो रहा है और ऐसी कोई संभावना नहीं है कि वह अगले लोकसभा चुनाव तक सक्रिय रह पाएंगे क्योंकि उनकी उम्र ज्यादा हो रही है।
MVA की स्थिरता को लेकर सवाल
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद MVA की स्थिरता को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। सवाल यह है कि क्या MVA एकजुट रह पाएगा? हाल ही में शिवसेना के भीतर यह मांग उठी थी कि मुंबई और पुणे का निकाय चुनाव अकेले लड़ा जाना चाहिए।
किसे सौंपेंगे पार्टी की कमान?
अब सवाल यह है कि शरद पवार अपनी पार्टी का चेहरा किसे बनाएंगे? उनकी बेटी सुप्रिया सुले दिल्ली की राजनीति करती रही हैं। शरद पवार के भतीजे रोहित पवार इस विधानसभा चुनाव में नजदीकी मुकाबले में हार गए जबकि उनके पोते युगेंद्र पवार को बारामती की सीट पर एक लाख से ज्यादा वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा। युगेंद्र पवार को अजित पवार ने हराया है।
बताना जरूरी होगा कि विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान ही शरद पवार ने अपनी उम्र का हवाला देते हुए राजनीति से संन्यास लेने का संकेत दिया था।

राज्यसभा भेजने लायक भी विधायक नहीं
एनसीपी (शरद पवार) की राजनीतिक स्थिति ऐसी है कि 2026 में जब शरद पवार का राज्यसभा में कार्यकाल खत्म होगा तो उन्हें फिर से राज्यसभा में भेजने के लायक विधायक भी उनकी पार्टी के पास नहीं हैं। अगर वह राज्यसभा जाना चाहेंगे तो उन्हें MVA के सहयोगी दलों की मदद की जरूरत पड़ेगी।
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