मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच का सामने कर रहे नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के चीफ शरद पवार ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के ऑफिस में हाजिरी देने से पहले अपना प्लान बदल लिया। मुंबई पुलिस ने उनसे अपील की कि वे ईडी ऑफिस न जाएं। मुंबई पुलिस कमिशनर संजय बार्वे ने ऐसा ईडी की ओर से एनसीपी चीफ को भेजे ई-मेल के बाद किया। इस मेल पर लिखा गया कि उन्हें ईडी ऑफिस आने की जरुरत नहीं।
वहीं इस फैसले के बाद शरद पवार ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था बनी रहे इसलिए उन्होंने अपना फैसला पलटा। बता दें कि एनसीपी चीफ के खिलाफ महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के भ्रष्टाचार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच चल रही है। चुनाव से पहले अपने नेता के खिलाफ जांच किए जाने पर एनसीपी कार्यकर्ता ईडी दफ्तर के बाहर मौजूद थे।
बहरहाल इस घटनाक्रम के बाद बीजेपी नेताओं के साथ-साथ शिवसेना नेता का भी साथ मिल रहा है। शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि ईडी की पवार के खिलाफ इस कार्रवाई ने चुनाव से पहले एनसीपी कार्यकर्ताओं में जान डाल दी है। उन्होंने कहा ‘जो भी शरद पवार को जानता है और राज्य की राजनीति से परिचित है वह आसानी से समझ सकता है कि ईडी की ये कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है। पवार राज्य के और देश के सम्मानित नेताओं में से एक हैं।’
वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने भी पवार के समर्थन में कहा ‘घोटाले के कई दिग्गजों के नाम है लेकिन एनसीपी चीफ का नाम कभी नहीं आया था। अब अचानक कहां से आ गया ये कई सवाल खड़े करता है। महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष होने पर मैंने इस मामले पर गहन अध्ययन किया था और मुझे कहीं से भी इसमें पवार के लिंक नजर नहीं आए। यह बात में दावे के साथ कह सकता हूं कि इस मामले में उनका नाम किसी भी दस्तावेज में नहीं था।’
वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पूरे मामले को राजनीतिक अवसरवाद करार दिया है। उन्होंने कहा कि ‘मोदी सरकार द्वारा किसी विपक्षी नेता को जानबूझकर टारगेट किए जाने का यह ताजा मामला है। चुनाव से एक महीने पहले ऐसी कार्रवाई रानजीतिक अवसरवाद है।’ बहरहाल एनसीपी ने इस पूरे प्रकरण को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है। उन्होंने कहा है कि यह बीजेपी सत्ता के नशे में चूर है और इसका फायदा उठा रही है।