शंकर सिंह वाघेला ने Nationalist Congress Party (NCP) के राष्ट्रीय महासचिव पद से सोमवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इसके साथ ही पार्टी सदस्यस्ता से भी इस्तीफा दिया है। वाघेला गुजरात में एनसीपी अध्यक्ष के पद पर जयंत पटेल की नियुक्ति के बाद से ही पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे थे। माना जा रहा है कि यह इस्तीफा उसी नाराजगी का परिणाम है।
पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार और महासचिव प्रफुल्ल पटेल को लिखे एक पत्र में उन्होंने अपने इस्तीफे की जानकारी दी। इस पत्र को उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर पर पोस्ट कर, अपने इस्तीफे की सार्वजनिक घोषणा की। वाघेला ने अपने त्यागपत्र में लिखा कि अब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर बदलाव और हाल ही में हुए कुछ राजनीतिक बदलावों के कारण पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं और तालुका तथा जिला स्तर पर काम करने वालों में निराशा है। गुजरात के बड़े नेताओं में शुमार शंकरसिंह वाघेला मार्च 2019 में कांग्रेस का साथ छोड़कर एनसीपी में शामिल हुए थे।
Shankersinh Vaghela tenders his resignation from the post of national general secretary of Nationalist Congress Party (NCP) as well as active membership of the party. pic.twitter.com/9hWt0XBq77
— ANI (@ANI) June 22, 2020
गुजरात की राजनीति में बापू के नाम से मशहूर वाघेला 40 साल से ज्यादा गुजरात की राजनीति में सक्रिय रहे हैं और वही एक कद्दावर नेता हैं जो न केवल बीजेपी में रहे और फिर उससे बगावत कर मुख्यमंत्री बने। शुरुआत में आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के सक्रिय सदस्य रहे वाघेला इमरजेंसी के बाद जनता पार्टी के टिकट पर कपडवंज से पहली बार सांसद बने थे। हालांकि, साल 1980 के चुनाव में उन्हें हार का सामवना करना पड़ा था। साल 1980 से 1991 तक वाघेला गुजरात में भाजपा के महासचिव और अध्यक्ष रहे।
वाघेला 1984 से 1989 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। 1989 में वह गांधीनगर लोकसभा सीट से चुनाव जीते। वहीं 1991 में वह गोधरा लोकसभा सीट से जीते थे। इसके बाद वाघेला ने भाजपा छोड़ दी और राष्ट्रीय जनता पार्टी का गठन किया। अक्तूबर 1996 में कांग्रेस के समर्थन के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री बने। हालांकि, एक साल बाद अक्तूबर1997 में उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।