किसानों की 26 जनवरी की परेड के मद्देनजर गृह मंत्री अमित शाह ने बड़ी बैठक ली तो उधर किसान नेताओं ने अपने अगले कदम का ऐलान कर दिया। क्रांतिकारी किसान यूनियन के दर्शन पाल सिंह ने कहा कि 1 फरवरी को हम दिल्ली में अलग-अलग जगहों से संसद की तरफ मार्च करेंगे। उनका कहना है कि जो किसान परेड में आएंगे वो वापस न जाकर बार्डर पर अन्य किसानों के साथ तब तक बैठेंगे जब तक सरकार को अपनी गलती का एहसास नहीं हो जाता। किसान नेता ने कहा, इस बारे में आगे की जानकारी 3-4 दिन में शेयर की जाएगी।

सरकार और 41 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच 11वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही थी। दसवें दौर की वार्ता में सरकार ने नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक निलंबित रखने की पेशकश की थी, लेकिन किसान यूनियनों ने इसे खारिज कर दिया था। सरकार ने यूनियनों से 11वें दौर की वार्ता में प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने और अपने निर्णय से अवगत को कहा था।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक निलंबित रखने का सरकार का प्रस्ताव एक सर्वश्रेष्ठ पेशकश है और उन्हें उम्मीद है कि प्रदर्शनकारी किसान संगठन इस पर पुनर्विचार करेंगे और अपने फैसले से अवगत कराएंगे। तोमर ने कहा कि सरकार किसान और कृषि दोनों के हितों के प्रति प्रतिबद्ध है। पीएम मोदी के नेतृत्व में विगत 6 वर्षों में किसान की आमदनी बढ़ाने, खेती को नई तकनीक से जुड़ने के लिए कई प्रयास किए गए हैं।

गौरतलब है कि कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली निकालने की इजाजत मिल गई है। इसी को लेकर दिल्ली की सुरक्षा काफी सख्त कर दी गई है। किसानों को कुछ निश्चित रूट पर एंट्री की इजाजत मिली है। किसान नेताओं ने गणतंत्र दिवस ट्रैक्टर परेड में शामिल होने वाले लोगों से 24 घंटे के लिए राशन उपलब्ध रखने के साथ ही परेड के दौरान शांति बनाए रखने की अपील की है।

एक किसान नेता ने कहा कि किसी के पास भी कोई हथियार या शराब नहीं होनी चाहिए। भड़काऊ संदेश वाले बैनर की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि परेड शुरू करने के लिए तीन स्थान तय किए गए हैं, जिनमें सिंघु, टीकरी एवं गाजीपुर बॉर्डर शामिल हैं। परेड के दौरान किसान नेता अपनी कार में सबसे आगे चलेंगे। उनका कहना है कि परेड शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित की जाएगी।