मुंबई क्रूज मामले में एनसीबी के जोनल डायरेक्टर रहे समीर वानखेड़े विवादों में फंस गए हैं। उनको लेकर आरोप लगा है कि उन्होंने जानबूझकर एक्टर शाहरुख खान के बेटे को इस मामले में फंसाया था। लेकिन अब कोर्ट में वानखेड़े ने शाहरुख खान के साथ अपनी एक व्हाट्सएप चैट का खुलासा किया है। उस चैट में शाहरुख लगातार वानखेड़े से प्रार्थना कर रहे हैं, आर्यन को लेकर ढिलाई बरतने की बात कर रहे हैं।
वायरल चैट में क्या बताया गया?
वायरल चैट में शाहरुख खान ने लिखा कि मैं आपसे भीख मांग रहा हूं कि उसे जेल में मत रखिए। वो टूट जाएगा. आपने तो वादा किया था कि आप मेरे बच्चे को सुधारेंगे, उसे ऐसी किसी जगह नहीं रखेंगे जहां वो टूट जाएगा, बिखर जाएगा। ये बात आप भी जानते हैं कि मेरे बेटे की कोई गलती नहीं है, आप खुद अच्छे इंसान हैं तो उसके साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं। जो भी लोग ऐसे बयान दे रहे हैं, मैं खुद उनसे भीख मांगूंगा कि वो अपने बयान वापस ले लें। आप बस मेरे बेटे को घर भेज दो, ये बात आप भी समझ रहे हैं कि उसके साथ बहुत ज्यादा हो गया है। एक पिता के तौर पर मैं आपसे प्रार्थना कर रहा हूं।
एक चैट में शाहरुख खान यहां तक लिख रहे हैं कि वे समीर वानखेड़े की भविष्य में हर संभव मदद करेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा है कि उनके परिवार पर रहम किया जाए, वे काफी सिंपल लोग हैं और उनका बेटे भटक गया है लेकिन वो अपराधी की तरह जेल में रहना तो बिल्कुल भी डिजर्व नहीं करता है। कोर्ट में और भी जो चैट सामने रखी गई हैं, उनमें भी शाहरुख बस आर्यन के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं। यहां तक कह रहे हैं कि वे बतौर पिता वानखेड़े से अपील कर रहे हैं।
जो चैट सामने आई हैं, उनसे ये भी पता चलता है कि शाहरुख खान को डर था कि उनका बेटे किसी तरह की राजनीति में फंस सकता है। ऐसे में उस बात को लेकर भी उन्होंने वानखेड़े से ही बात की थी। शाहरुख ने लिखा था कि हमारे बीच बात हुई है कि हम आर्यन को बेहतर इंसान बनाएंगे, मैं तो बार-बार कह रहा हूं कि मेरे पास ऐसा कुछ नहीं है, जो आपके हित में ना हो। मेरे बेटे को किसी भी तरह की राजनीति में ना फंसाया जाए। मेरा बेटा इसका हिस्सा नहीं है, उसकी गलती तो ना के बराबर रही है।
Whats App चैट को क्या कोर्ट मानता है?
वैसे जिस चैट को समीर वानखेड़े ने कोर्ट में दिखाया है, क्या उसे कोर्ट सबूत मानता भी है? क्या Whats App चैट एक पक्का सबूत कहा जा सकता है? इसका जवाब हां है क्योंकि इंडियन एविडेंस एक्ट के सेक्शन 62 और 63 में प्राइमेरी और सेकेंडरी एविडेंस होते हैं। यहां भी सेकेंडरी एविडेंस में ई-साक्ष्यों को सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। शर्त ये रहती है कि जिस भी डिवाइस में वो मैसेज है, वो रेग्युलर यूज में होना चाहिए। इसी तरह जिस भी डिवाइस से वो मैसेज भेजा गया है, वो बिल्कुल ठीक होना चाहिए। इसके अलावा कोर्ट में उस सबूत की जो कॉपी पेश की जाए, वो ओरिजिनल की एकदम सटीक डुप्लीकेट होनी चाहिए।