भारतीय रेलवे द्वारा रेलवे टिकट रिजर्वेशन में ‘सांसद कोटा’ बनाया गया है, जिसके तहत सांसदों द्वारा की गई सिफारिशों पर वेटिंग टिकट को कंफर्म किया जाता है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि इसका प्रभाव खत्म होता जा रहा है। विपक्ष के कई सांसद इस बात को लेकर नाराज हैं कि उनके द्वारा की गई सिफारिशें के बावजूद टिकट कंफर्म नहीं हो रहा है। रेल भवन में उनके द्वारा टिकट कंफर्म करवाने के लिए जमा किए जा रहे सिफारिश पत्र को तवज्जो नहीं दी जा रही है। इन नाराज सांसदों में से कुछ ने रेल मंत्री पीयूष गोयल से मिलने की योजना बनाई है ताकि उनके सामने इस मुद्दे को उठाया जा सके।
दरअसल, भारतीय रेलवे द्वारा विभिन्न कैटेगरी के लोगों को सुविधा देने के लिहाज से आरक्षण कोटा बनाया गया है। सीनियर सिटीजन कोटा, फॉरेन स्टूडेंट कोटा, हेड क्वार्टर कोटा, दिव्यांग कोटा, लेडीज कोटा, डिफेंस कोटा के साथ-साथ सांसद कोटा भी बनाया गया है। इसके तहत ट्रेनों में आरक्षित सीटों की संख्या के आधार पर स्लीपर और एसी कैटगरी में सीटें कंफर्म की जाती है।
‘सांसद कोटा’ को वीआईपी कोटा माना जाता है। इस कोटे के तहत वेटिंग टिकट भी कंफर्म हो जाता है। कोटे के तहत टिकट लेने पर कंफर्म टिकट ही मिलता है। कभी-कभी जरूरतमंद व्यक्तियों की सहायता के लिए सांसद कोटे के तहत उनके वेटिंग टिकट को कंफर्म कराने के लिए सिफारिश की जाती है। इसके लिए सांसद के पत्र पर सिफारिश लिखकर इसे दिल्ली स्थित रेलभवन के एक बॉक्स में जमा किया जाता है। इस बॉक्स में जमा सभी सिफारिश पत्रों को अधिकारी देखते हैं और वेटिंग टिकट को भी कंफर्म करते हैं। लेकिन बीते कुछ समय से विपक्षी सांसदों की सिफारिश के बावजूद टिकट कंफर्म न होना उन्हें नागवार गुजरा। नाराज सांसद अब रेलमंत्री से मिलने की तैयारी में हैं।
