बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता की जमानत याचिका को खारिज करते हुए ग्रेटर मुंबई के सेशन कोर्ट ने कहा कि वह टीआरपी घोटाले के मास्टरमाइंड हैं। जज ने कहा कि चैनल के मालिकों के साथ मिलकर वह रेटिंग में हेरफेर का काम किया करते थे। कोर्ट ने कहा, अगर इस समय दासगुप्ता को छोड़ा जाता है तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश कर सकते हैं। जस्टिस एमए भोसले ने कहा, दागुप्ता के फोन से मिले वॉट्सऐप चैट की ठीक से जांच जरूरी है।
जज ने कहा, यह मामला किसी साधारण हेरफेर का नहीं है। तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि मामला गंभीर है। उन्होंने कहा कि दासगुप्ता बड़े अधिकारी रहे हैं और उनसे ही इस मामले में पूरी बात निकलवाई जा सकती है। दासगुप्ता के वकील ने याचिका में कहा था कि उनके साथ गिरफ्तार हुए अन्य लोगों को ज़मानत मिल गई है इसलिए दासगुप्ता को भी मिल जानी चाहिए।
जस्टिस भोसले ने कहा, ‘सच है कि 14 अन्य आरोपियों को जमानत पर रिहा किया गया है लेकिन वर्तमान में लग रहा है कि पूरे अपराध के पीछे मास्टरमाइंड दासगुप्ता ही थे और वही मकैनिकल डिवाइस में छेड़छाड़ करके रेटिंग में हेरफेर करने का काम किया करते थे।’ बता दें कि दासगुप्ता को नवी मुंबई की तलोजा जेल में रखा गया है। अर्नब गोस्वामी को भी सूइसाइड केस में गिरफ्तार करने के बाद इसी जेल में रखा गया था।
सरकारी वकील शिशर हीरे ने कहा दासगुप्ता की अपील पर प्रतिक्रिया देने केलिए उन्हें वक्त चाहिए। ऐडवोकेट आदाब पोंडा दासगुप्ता के वकील हैं। पोंडा ने कहा, ‘राज्य सरकार चाहती है कि हमारे क्लाइंट को ज्यादा से ज्यादा दिन तक जेल में रखा जा सके। इससे बहुत सारे पूर्वग्रह बन रहे हैं। दासगुप्ता का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है और उन्हें चिकित्सकीय निगरानी की जरूरत है।’ बता दें कि दासगुप्ता की गिरफ्तारी अर्नब गोस्वामी के चैट लीक मामले में हुई है। उनपर चैनल मालिकों के साथ मिलकर पैसे के बदले रेटिंग में हेरफेर करने का आरोप है।