किसानों की एक महापंचायत में सोमवार को मांग की गई कि करनाल में हुए लाठीचार्ज में शामिल अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। किसानों ने 6 सितंबर तक की समयसीमा निर्धारित की है। किसानों ने कहा कि मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे सात सितंबर को सचिवालय की घेराबंदी करेंगे। इसके लिए पूरी तरह से सरकार ही जिम्मेदार होगी। उनका कहना है कि किसान किसी सूरत में पीछे नहीं हटेंगे।
भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने करनाल में प्रदर्शनकारी किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो सात सितंबर को सचिवालय कार्यालय की घेराबंदी की जाएगी। उनका कहना है कि सरकार ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे किसानों पर बल प्रयोग किया है। लोकतंत्र में हर किसी को शांति से अपनी आवाज उठाने का हक है। सरकार किसानों पर अत्याचार कर रही है।
चढूनी ने करनाल में शनिवार को कथित तौर पर लाठीचार्ज की वजह से जान गंवाने वाले किसान के परिजनों को 25 लाख रुपये का मुआवजा और सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग भी की। उन्होंने घायल हुए किसानों को भी दो-दो लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की।
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लाठीचार्ज में कथित तौर पर शामिल अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग करते हुए चढूनी ने कहा कि लाठीचार्ज में हमारे भाई घायल हुए। एक भाई की मौत हो गई। इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए, चाहे वह एसडीएम हों या पुलिस अधिकारी।
चढूनी ने रविवार को आरोप लगाया था कि एक किसान की मौत लाठीचार्ज की वजह से हुई, लेकिन पुलिस महानिरीक्षक ने आरोप से इनकार किया था। उन्होंने कहा था कि किसान की मौत उसके घर में हुई। उधर, किसानों का सिर फोड़ने वाले की बात कहने वाले अफसर का भी सरकार बचाव कर रही है। सरकार का अभी तक ये मानना है कि एसडीएम के शब्द गलत थे पर भावना नहीं।
ध्यान रहे कि भाजपा की बैठक के विरोध में करनाल की तरफ बढ़ते समय शनिवार को राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात को बाधित कर रहे किसानों के एक समूह पर किए गए लाठीचार्ज में कथित तौर पर लगभग 10 किसान घायल हो गए थे। उसके बाद से ही किसान आक्रोशित हैं। पहले जहां नेशनल हाइवे पर जाम लगा विरोध जताया गया। सोमवार को करनाल में किसान महापंचायत के जरिए सरकार को चेतावनी दी गई।