वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सुबोध जायसवाल सीबीआई के नए निदेशक होंगे। वर्तमान समय में वे सीआइएसएफ के चीफ हैं। उनकी नियुक्ति की घोषणा देर रात डीओपीटी ने एक नोटिस जारी करके दी। 22 सितंबर 1962 में जन्मे सुबोध कुमार जायसवाल महाराष्ट्र काडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वे महाराष्ट्र पुलिस के डीजीपी, मुंबई के पुलिस कमिश्नर और रॉ में तीन साल तक एडीशनल सेक्रेट्री रह चुके हैं।
नए सीबीआई चीफ के चयन के लिए सोमवार को प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और नेता प्रतिपक्ष की तीन सदस्यीय चयन समिति की बैठक हुई थी। बैठक में सुबोध जायसवाल, केआर चंद्रा और वीएसके कौमुदी के नामों को चुना गया था। मंगलवार को फैसला अंततः जायसवाल के नाम पर हुआ।
वैसे इस पद की दौड़ में सबसे आगे वाइसी मोदी और राकेश अस्थाना सबसे आगे चल रहे थे। लेकिन चयन समिति की बैठक में चीफ जस्टिस ने प्रकाश सिंह जजमेंट का हवाला देकर कहा कि ऐसे किसी अफसर को सीबीआई चीफ के पद पर नहीं चुना जाना चाहिए जिसके रिटायरमेंट में छह महीने से भी कम का समय बचा हो। बताते हैं कि सीजेआइ ने इस बिंदु पर खासा आग्रह किया। उनकी बात का समर्थन नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी किया। तब प्रधानमंत्री ने कहा कि चयन नियमों के अनुसार ही किया जाएगा। इस प्रकार अस्थाना और मोदी दौड़ से उसी वक्त बाहर हो गए क्योंकि मौजूदा समय में एनआइए चीफ वाइसी मोदी को इसी महीने रिटायर होना है जबकि राकेश अस्थाना जो इस वक्त बीएसएफ चीफ हैं, अगस्त में रिटायर हो जाएंगे।
इसके बाद जिन तीन नामों का विचारार्थ चयन किया गया उनमें सुबोध जायसवाल के अलावा एसएसबी चीफ केआर चंद्रा और गृह मंत्रालय में विशेष सचिव के पद पर तैनात वीएसके कौमुदी भी शामिल थे। वरिष्ठता के लिहाज से इनमें सबसे ऊपर जायसवाल थे। माना जा रहा है कि उनका चयन वरिष्ठता के नाते ही हुआ है। चर्चा सीबीआइ में पूर्व अनुभव की भी थी। इस नाते कौमुदी का पलड़ा भारी हो सकता था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दरअसल, पहले के दो सीबीआई निदेशकों आलोक वर्मा और आरके शुक्ल के चयन के दौरान भी पूर्व अनुभव को की तवज्जो नहीं दी गई थी।
आईपीएस सर्किल के मुताबिक सीबीआई चीफ के चयन में छह महीने वाला पैमाना कतई नई चीज है। यह नियम प्रकाश सिंह वाले केस में बना था और राज्यों के पुलिस महानिदेशक के पद के लिए था। सीबीआई चीफ का चयन विनीत नारायण जजमेंट, सीवीसी एक्ट और लोकपाल एक्ट से निर्देशित होता है। लेकिन अगर यह मानदंड सीबीआई चीफ के चयन में लागू हुआ तो इसका असर आइबी और रॉ के चीफ के चयन पर भी लागू होगा। उल्लेखनीय है कि सीबीआई, आइबी और रॉ चीफ का दो साल का कार्यकाल होता है। अभी तक इनके लिए रिटायरमेंट में छह महीने से कम का समय वाली शर्त नहीं होती थी।

