सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई के आखिरी दिन खबर आई कि विवादित जमीन से सुन्नी वक्फ बोर्ड अपना दावा छोड़ेगा। इस पर पूर्व सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने बोर्ड को निशाने पर लेते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट को उस पर पांच करोड़ रुपए का जुर्माना लगाना चाहिए। न्यूज चैनल आजतक की एक खबर के मुताबिक अल्वी ने कहा कि अगर सुन्नी वक्फ बोर्ड केस वापस लेना चाहता था तो उसे पहले ही ये फैसला लेना चाहिए था।
उन्होंने कहा, ‘अभी क्यों लिया ये फैसला? क्या उन पर किसी तरह का दबाव है। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने देश का बहुत समय बर्बाद कर दिया। इसलिए देश की सर्वोच्च अदालत को पांच करोड़ रुपए का जुर्माना लगाना चाहिए। बोर्ड अगर जुर्माना नहीं देता तो उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए।’ बता दें कि सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा विवादित जमीन से अपना दावा वापस लेने की खबरों का अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने खंडन किया है।
उन्होंने कहा कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन से अपना दावा छोड़ने संबंधी किसी तरह का हलफनामा नहीं दिया है। सिर्फ कुछ लोग अफवाह फैला रहे हैं। इसी तरह ऑल इंडिया बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि उन्हें भी सुन्नी वक्फ बोर्ड से अपनी अपील वापस लेने की कोई जानकारी नहीं है।
एक और मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने केस वापस लेने की खबरों को अफवाह बताया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सुलह-समझौता कमेटी में सदस्य नामित किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू को हलफनामा देकर बोर्ड की तरफ से जमीन से दावा छोड़ने की बात सामने आई है, मगर यह सच नहीं है और इसका कोई मतलब भी नहीं है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कोई हलफनामा दायर नहीं हुआ है, सब अफवाह हैं। हम सुप्रीम कोर्ट का फैसला मालेंगे।