लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी समेत सभी दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। सभी दलों में अलग-अलग राज्यों में प्रत्याशियों के चयन और चुनावी मुद्दों पर बातचीत और बैठकें हो रही हैं। जयपुर में केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर राजस्थान बीजेपी की भी मीटिंग हुई, लेकिन इसमें पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के मौजूद नहीं रहना चर्चा का विषय बन गया।
सियासी जगत में कई तरह की अटकलें लगाई जा रहीं
इस मीटिंग में मौजूदा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा समेत कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए, जिसमें प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह छत्तीसगढ़ प्रभारी और पार्टी के वरिष्ठ नेता ओम माथुर, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, अशोक परनामी, अरुण चतुर्वेदी, पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा शामिल थे, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री नहीं पहुंची। इससे कई तरह की अटकलें लगाई जाने लगी हैं।
विधानसभा चुनाव में भी बहुत महत्व नहीं देने का आरोप
मीडिया सूत्रों का कहना है कि वसुंधरा राजे नाराज हैं। उनकी नाराजगी की वजह उनको सीएम नहीं बनाया जाना है। विधानसभा चुनाव में पार्टी में उनको बहुत महत्व भी नहीं दिया गया। हालांकि पार्टी की ओर से बहू की तबीयत ठीक नहीं होने को वजह बताई गई है।
वसुंधरा राजे के सियासी गतिविधियों से दूर रहने की यह पहली घटना नहीं है। कुछ दिन पहले ही राजधानी जयपुर में हुए आईजी-डीजी कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए थे। कार्यक्रम के बाद उन्होंने राज्य में पार्टी के नए विधायकों और पदाधिकारियों से मुलाकात की। इस बैठक में भी वसुंधरा राजे नहीं पहुंची।
पीएम की जयपुर में यह पहली बैठक थी। इसमें राज्य के सभी मंत्री भी मौजूद रहे। वसुंधरा राजे को आमंत्रित किए जाने के बाद भी मीटिंग से दूर रहने पर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। उनकी गैरमौजूदगी से बीजेपी में गुटबाजी और अंदरूनी कलह भी बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।