सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा की नाराजगी कई तरह की चर्चा चल निकली है। हालांकि सैलजा ने यह पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी के प्रति वाफादारी सदैव कायम रहेगी। भाजपा सैलजा के बहाने दलित मतों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश में है। हरियाणा की वरिष्ठ कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे से नाराज बताई जा रही हैं। सैलजा खेमे के खाते में उत्तरी हरियाणा से अंबाला छावनी, नारायणगढ़, साढौरा, जगाधरी, पंचकूला व असंध की सीट आई हैं। दूसरी ओर, भूपेंद सिंह हुड्डा खेमा करीब 70 टिकट दिलाने में कामयाब रहा।

सैलजा इस बात से नाराज हैं कि उनके खेमे के प्रत्याशियों के खिलाफ कांग्रेस के निर्दलीय उम्मीदवार खड़े हो गए हैं, लेकिन उन्हें बैठाने के लिए पार्टी के आला नेताओं ने कोई कोशिश नहीं की। वहीं, हुड्डा समर्थक उम्मीदवारों के खिलाफ खड़े बागी कांग्रेसी नेताओं को जैसे-तैसे मना लिया गया। इसके बाद सैलजा चुनाव प्रचार में कहीं दिखाई नहीं दी।

आरक्षित सीटों पर कांग्रेस को बढ़त

हरियाणा में 21 फीसद दलित वोट हैं, जो दस से अधिक हलकों पर असर डालते हैं। लोकसभा चुनाव में प्रदेश के दलित वोट बैंक का बड़ा हिस्सा कांग्रेस के खाते में गया था। लोकसभा की दोनों अरक्षित सीट अंबाला व सिरसा के अलावा 17 आरक्षित विधानसभा हलकों में से 13 पर कांग्रेस ने बढ़त हासिल की थी। सैलजा का सिरसा, अंबाला, पंचकूला, फतेहाबाद में अच्छा प्रभाव है।

भाजपा, बसपा समेत कुछ और दल भी सैलजा की कथित सहानुभूति बटोरने के लिए बयानबाजी में लग गए है। इसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे मैदान में आए और उन्होंने सैलजा की नाराजगी का खंडन किया। खरगे स्पष्ट कहा कि अन्य दलों को अपनी चिंता करनी चाहिए। कांग्रेस की नहीं। सभी कांग्रेसजन एकजुट हैं।