कोरोना का कहर जिस तरह से अपना रंग दिखा रहा है उसने लोगों को फिर से एक बार खौफजदा कर दिया है। लॉकडाउन की आशंका के मद्देनजर महाराष्ट्र में रेलवे स्टेशनों पर लोगों का हुजूम उमड़ रहा है। लोग कैसे भी करके अपने घर जाने की फिराक में हैं, लेकिन रेलवे का तर्क है कि ये सामान्य भीड़ है। कन्फर्म टिकट वालों को ही यात्रा की अनुमति दी जा रही है।

सेंट्रल रेलवे के चीफ पीआरओ का कहना है कि रेलवे स्टेशनों पर भीड़ को देखकर घबराने की जरूरत नहीं है। ये सामान्य बात है। फिलहाल हम रेगुलर के अतिरिक्त 106 अतिरिक्त ट्रेन चला रहे हैं। बेवजह की भीड़भाड़ से बचने के लिए टिकटों की सेल छह स्टेशनों पर पूरी तरह से पबंद कर दी गई है। उनका कहना है कि रेलवे स्थिति पर नजर रखे है। हालात को देख फैसला ले रहे हैं।

कोरोना वायरस संक्रमण की बेकाबू रफ्तार के बीच महानगरों और बड़े शहरों से प्रवासी मजदूरों का पलायन एक बार फिर शुरू हो गया है। बस अड्डों, रेलवे स्‍टेशनों पर भीड़ बढ़ने लगी है। यह मंजर 2020 में लॉकडाउन के बाद के हालात की याद दिलाता है। जब अपने घर जाने के लिए बड़ी संख्‍या में प्रवासी मजदूर बस अड्डों, रेलवे स्‍टेशनों पर पहुंच गए थे और जिन्‍हें साधन नहीं मिला, वे पैदल ही मीलों दूर अपने गांव-घर लौट चले थे।

महाराष्‍ट्र, पंजाब, दिल्‍ली, तेलंगाना, गुजरात से सैकड़ों मजदूर रोजाना अपने गांव-घर की ओर लौट रहे हैं। यहां से निकलने वाली ट्रेनें और बसें यात्रियों से भरी हैं। कई जगह 30 अप्रैल तक नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है, जिसकी वजह से नाइट शिफ्ट में काम करने वाले असंगठित क्षेत्र के उन कामगारों के समक्ष रोजगार का संकट पैदा हो गया है, जो आवश्‍यक सेवा से नहीं जुड़े हैं।

देश में कोविड-19 के मामलों में जनवरी-फरवरी में उल्‍लेखनीय कमी दर्ज की गई थी, लेकिन मार्च के बाद जब एक बार फिर संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी शुरू हुई तो इसकी रफ्तार थमने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में कई जगह प्रतिबंधों की घोषणा की गई है। कहीं साप्‍ताहिक लॉकडाउन की घोषणा की गई है तो कहीं नाइट कर्फ्यू की। हालात बिगड़ते देख प्रवासी मजदूरों में एक बार फिर लॉकडाउन के हालात को लेकर डरे हुए हैं।