शिवसेना विवाद पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में एक दिलचस्प वाकया पेश आया। सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच उद्धव ठाकरे पक्ष के वकीलों की दलील सुन रही थी। इसी दौरान मराठी में एक चिट्ठी सामने आई। जस्टिस हिमा कोहली उसे समझ नहीं सकीं। उन्होंने कहा कि चिट्ठी मराठी में है, चीफ (सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़) ही इस पर रोशनी डाल सकते हैं। सीजेआई मुस्कुराए और फिर मराठी में लिखी चिट्ठी को पूरा पढ़कर बेंच के बाकी जजों को उसका मजमून समझाया। ध्यान रहे कि सीजेआई महाराष्ट्र से आते हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले उनका काफी समय वहीं पर बीता है।

संवैधानिक बेंच में सीजेआई और जस्टिस हिमा कोहली के अलावा जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं। संवैधानिक बेंच शिवसेना विवाद पर सुनवाई कर रही है। जबकि शिवसेना के सिंबल पर चुनाव आयोग के फैसले पर सीजेआई के अलावा जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी परदीवाला की बेंच दोपहर 3.30 बजे से सुनवाई करेगी। ये याचिका उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से दायर हुई है।

गवर्नर की भूमिका पर सिब्बल ने उठाए सवाल

कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान उद्धव सरकार को गिराने के तरीकों का जिक्र किया। उनका कहना था कि क्या गवर्नर किसी को सीएम पद की शपथ दिला सकते हैं जबकि स्पीकर ने उस नेता को अयोग्य ठहराने के लिए नोटिस जारी किया था। उनका इशारा एकनाथ शिंदे की तरफ था। सिब्बल ने ये भी कहा कि शिंदे के साथ बागी हुए दूसरे विधायकों को भी स्पीकर की तरफ से नोटिस जारी किया गया था। पहले उस पर सुनवाई होनी थी। उनकी दलील थी कि गवर्र पर जिम्मेदारी होती है कि वो सरकार को आराम से चलने दे। लेकिन यहां तो वो ही सरकार गिरा रहे थे।

महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार उस समय अल्पमत में आ गई थी जब एकनाथ शिंदे के साथ कई विधायकों ने उनसे बगावत कर दी। पहले वो गुजरात के सूरत गए और फिर असम। इस दौरान महाराष्ट्र असेंबली के स्पीकर ने बागी विधायकों को नोटिस जारी किया था कि क्यों न उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाए। लेकिन इसी बीच गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी एक्टिव हुए और फिर शिंदे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जा बैठे। उद्धव ठाकरे गुट का दावा है कि सबसे पहले स्पीकर को फैसला करने का अधिकार देना चाहिए था। लेकिन गवर्नर ने दखल देकर चुनी सरकार को गिरा दिया।