गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया। आजाद ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को 4 पन्ने का पत्र लिखा और राहुल गांधी पर निशाना साधा। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राहुल गांधी के पार्टी में अहम पद संभालने के बाद वरिष्ठ नेताओं को कम तवज्जो मिलने लगी जबकि नए लोग पार्टी के लिए अहम फैसले लेने लगे। इसके साथ ही उन्होंने कई ऐसे शब्दों का प्रयोग किया, जिससे कई अटकलें लगाईं जा रहीं हैं।

आजाद ने अपने इस्तीफे में सुरक्षागार्ड, पीए, चाटुकार, मंडली जैसे शब्दों का प्रयोग किया। गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफे में एक उदाहरण में सोनिया गांधी को नाममात्र का पार्टी प्रमुख बताते हुए कहा कि सभी महत्वपूर्ण निर्णय राहुल गांधी द्वारा लिए गए थे या इससे भी बदतर उनके सुरक्षा गार्ड और पीए द्वारा लिए जाते हैं। सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर दिया गया और अनुभवहीन चाटुकारों की नई मंडली पार्टी के मामलों को चलाने लगी।

एक रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षा गार्डों के संदर्भ को केबी बायजू पर हमले के रूप में देखा जा रहा है। केबी बायजू पहले विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) में हुआ करते थे, लेकिन राहुल गांधी की टीम में शामिल हो गए और बाद में पार्टी के महासचिव बने। कांग्रेस पार्टी में केबी बायजू का कोई औपचारिक पद नहीं है, लेकिन राहुल गांधी की सुरक्षा के प्रभारी और प्रबंधन से लेकर इस साल की शुरुआत में गोवा में चुनाव जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को संभालने से लेकर ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के प्रमुख व्यक्ति होने तक उनका कद बढ़ गया है।

कांग्रेस नेताओं ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा कि क्योंकि बायजू राहुल गांधी की सभी यात्राओं का प्रबंधन करने वाले व्यक्ति हैं, यह उन्हें सत्ता की स्थिति में रखता है क्योंकि वह तय करते हैं कि राहुल गांधी के साथ कौन समय बिताएगा। यहां तक ​​​​कि उनके साथ कौन मंच साझा करेगा। उनकी अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह उस उथल-पुथल से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए राहुल गांधी के निजी संदेशवाहक थे, जिसके कारण बाद में पंजाब के सीएम के रूप में उन्हें हटाया गया था।

गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कहा, “पार्टी में संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया एक दिखावा है। देश में कहीं भी पार्टी संगठन के किसी भी स्तर पर चुनाव नहीं हुए हैं। AICC के चुने हुए लेफ्टिनेंटों को 24 अकबर रोड में बैठे एआईसीसी चलाने वाली मंडली द्वारा तैयार की गई सूचियों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया।”