प्रधानमंत्री नरेंद्र के वाराणसी में गोद लिए गांव पर एक रिपोर्ट लिखने वाली ‘Scroll’ की पत्रकार सुप्रिया शर्मा पर एफआईआर दर्ज होने के बाद Editors Guild of India ने इस कार्रवाई पर आपत्ति जताई है। शुक्रवार को गिल्ड ने बयान जारी कर कहा कि सरकार ऐसा कर कानून का दुरुपयोग न करे।
इसी बीच, Network of Women in Media, India ने भी स्क्रॉल पत्रकार के खिलाफ हुए इस ऐक्शन की कड़ी निंदा की है।उनकी तरफ से कहा गया कि ये मीडिया की आवाज दबाने की कोशिश है। सुप्रिया को निशाना बनाया गया है, लिहाजा हम उनके खिलाफ इस एफआईआर को वापस लेने की मांग करते हैं। वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी ट्वीट कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि यूपी सरकार सच्चाई सामने लाने वाले पत्रकारों और विपक्षी नेताओं पर प्राथमिकी दर्ज करवा रही है।
19 जून, 2020 को जारी किए गए बयान में ईजीआई ने कहा- हम स्क्रॉल की पत्रकार के खिलाफ वाराणसी के रामनगर पुलिस थाने में दर्ज की गई एफआईआर को लेकर गहरी चिंता में हैं। एफआईआर 13 जून को विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई थी। सुप्रिया ने अपनी रिपोर्ट में माला देवी नाम की एक शिकायतकर्ता के बयान का हवाला दिया था, जो कि आठ जून को अंग्रेजी वेबसाइट स्क्रॉल डॉट कॉम पर प्रकाशित हुई थी।
गिल्ड के बयान में आगे कहा गया- पत्रकार ने पांच जून को वाराणसी के डोमरी गांव में माला देवी का इंटरव्यू किया था और उनकी कही गई बातें रिपोर्ट में जस की तस शामिल की गईं। इस रिपोर्ट का शीर्षक- ‘इन वाराणसी विलेज अडॉप्डेट बाय प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी, पीपल वेंट हंगरी ड्यूरिंग द लॉकडाउन’ (पीएम मोदी द्वारा गोद लिए गए वाराणसी के गांव में लॉकडाउन के दौरान लोग भूखे रहे थे) था।
बकौल गिल्ड, “हम सभी कानूनों का सम्मान करते हैं, पर ऐसा लगता है कि ऐसे कानूनों का गलत और गैर-जिम्मेदाराना तरीके से इस्तेमाल किया गया है। इस तरीके से अगर कानूनों का गलत इस्तेमाल होगा, तो इससे भारत के लोकतंत्र के एक अहम स्तंभ को नुकसान होगा।”
NWMI ने पत्रकार सुप्रिया पर ऐक्शन की निंदा की। देखें, बयान में क्या कहाः
उधर, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने वाराणसी में एक महिला पत्रकार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने को ‘शर्मनाक’ करार देते हुए शुक्रवार को आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार राज्य में ‘घोर अव्यवस्थाओं’ की सच्चाई सामने लाने वाले पत्रकारों, पूर्व अधिकारियों और विपक्षी नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज करवा रही है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘उप्र सरकार एफआईआर करके सच्चाई पर पर्दा नहीं डाल सकती। जमीन पर इस आपदा के दौरान घोर अव्यवस्थाएं हैं।’’ उन्होंने आगे आरोप लगाया, ‘‘सच्चाई दिखाने से इनमें सुधार संभव है, लेकिन उप्र सरकार पत्रकारों, पूर्व अधिकारियों, विपक्ष पर सच्चाई सामने लाने के लिए प्राथमिकी दर्ज करवा दे रही है। यह शर्मनाक है।’’
क्या है पूरा माजरा?: अंग्रेजी न्यूज पोर्टल ‘स्क्रोल’ की संपादक सुप्रिया शर्मा के खिलाफ वाराणसी के रामनगर थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह प्राथमिकी वाराणसी के डोमरी गांव निवासी माला देवी द्वारा दी गई एक शिकायत के आधार पर दर्ज की गयी है। डोमरी गांव को प्रधानमंत्री द्वारा आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया गया है।