मीठे पानी के शैवालों से विकसित होकर 50 करोड़ से भी ज्यादा वर्ष पहले पौधे जब पहली बार भूमि पर दिखे थे, तो उन्होंने समूची धरती का रंग-रूप पूरी तरह बदल दिया। हवा से कार्बन डायआॅक्साइड लेकर उन्होंने धरती को शीतल किया और चट्टानी सतहों को नष्ट कर मिट्टी का निर्माण किया। पृथ्वी ग्रह के वायुमंडल और जमीनी सतह में हुए इन परिवर्तनों से जीवमंडल के विकास का मार्ग प्रशस्त हुआ। भूमि के पौधे पृथ्वी के बायोमास का 80 फीसद हिस्सा बनाते हैं। शुरुआती पौधे छोटे और काई जैसे थे। उन्हें जमीन पर जीवित रहने के लिए दो बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा- सूखने से बचना, और सूर्य की कठोर पराबैंगनी प्रकाश से बचना।
पश्चिमी आॅस्ट्रेलिया के उत्तर में कैनिंग बेसिन से चट्टानों के नमूनों में शुरुआती जमीनी पौधों के साथ ही प्राचीन जल शैवालों से बीजाणु और 48 करोड़ साल पुराने जीवाश्म बीजाणुओं की खोज की गई है। ये अब तक पाए गए सबसे पुराने जमीनी पौधे के बीजाणु हैं, और ये हमें इस बारे में नए सुराग देते हैं कि पौधे कब और कहां भूमि पर पहुंचे और यह भी कि वे कैसे जीवित रहने में कामयाब रहे। यह अनुसंधान ‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
पौधों द्वारा भूमि पर कॉलोनियां बनाने के प्रारंभिक समय के अनुमान बड़े जीवाश्म पौधों के अवशेषों पर आधारित होते हैं। यह इस गणना पर निर्भर करता है कि विभिन्न प्रजातियों को विकसित होने में कि तना समय लगा (जिसे आणविक घड़ी आंकड़ा कहा जाता है) और पौधों के बीजाणुओं का रिकॉर्ड पर भी।
इन आंकड़ों से पता चलता है कि जमीन पर पौधों का आना 51.5 करोड़ साल पहले हुआ था जबकि प्राचीनतम पौधे के तने के जीवाश्म 43 करोड़ वर्ष पहले मिले थे। इन शुरुआती छोटे पौधों में जड़ प्रणाली या कठोर लकड़ी के ऊतक नहीं थे, जो बता सकते हैं कि उनके जीवाश्म अवशेष दुर्लभ क्यों हैं। वैकल्पिक रूप से पौधों के बीजाणुओं के जीवाश्म को देखा जा सकता है। बीजाणु सरल प्रजनन इकाइयां हैं जिनमें आनुवंशिक सामग्री होती है (बीज की तुलना में बहुत सरल, जो बहुत बाद तक विकसित नहीं हुए थे)।
वैज्ञानिकों की खोज कैनिंग बेसिन में जमीनी पौधों के बीजाणुओं के पहले के अध्ययनों के बाद की है। 1991 में 44-44.5 करोड़ वर्ष पहले के बीजाणु पाए गए थे, और 2016 में 46 करोड़ वर्ष पहले के बीजाणु पाए गए थे। पत्थरों के अनुक्रमों की आयु निर्धारित करने के प्रयासों में लगभग 100 प्रमुख नमूनों के तत्वों की जांच के बाद ही वे दो रिकॉर्ड पाए गए, जिससे पता चलता है कि बीजाणु दुर्लभ हैं। प्रारंभिक जमीनी पौधे अपने कैरोफाइट शैवाल पूर्वजों की तरह समुद्र के किनारे पर मीठे पानी में विकसित हुए। बीजाणु और तलछट इन क्षेत्रों में समुद्रों द्वारा बहाकर लाए गए।
पश्चिमी आॅस्ट्रेलिया के उत्तर में कैनिंग बेसिन से चट्टानों के नमूनों में शुरुआती जमीनी पौधों के साथ ही प्राचीन जल शैवालों से बीजाणु और 48 करोड़ साल पुराने जीवाश्म बीजाणुओं की खोज की गई है। ये अब तक पाए गए सबसे पुराने जमीनी पौधे के बीजाणु हैं, और ये हमें इस बारे में नए सुराग देते हैं कि पौधे कब और कहां भूमि पर पहुंचे और यह भी कि वे कैसे जीवित रहने में कामयाब रहे। यह अनुसंधान ‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। पौधों द्वारा भूमि पर कॉलोनियां बनाने के प्रारंभिक समय के अनुमान बड़े जीवाश्म पौधों के अवशेषों पर आधारित होते हैं। यह इस गणना पर निर्भर करता है कि विभिन्न प्रजातियों को विकसित होने में कि तना समय लगा (जिसे आणविक घड़ी आंकड़ा कहा जाता है) और पौधों के बीजाणुओं का रिकॉर्ड पर भी।