इस समय राजनीतिक गलियारों में रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी को लेकर बहस चल रही है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी महाराष्ट्र सरकार से नाराजगी जताई है और विधानसभा सचिव को नोटिस जारी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरोप तो किसी पर भी लगाए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस तरह से अर्नब को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। दरअसल सचिव ने अर्नब के कोर्ट जाने पर आपत्ति जाहिर की थी।
एक टीवी डिबेट में रिपब्लिक के ऐंकर ने कहा कि इससे पहले मुंबई अटैक के बाद एसओजी की मदद ली गई थी। अर्नब की गिरफ्तारी के लिए SOG बुलाई गई जबकि उनके पास किसी हथियार का लाइसेंस भी नहीं है। इसपर पूर्व मेजर जनरल जीडी बख्सी ने आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा कि जैसे इमरजेंसी 0.1 में हुआ था। उस समय जिन पत्रकारों ने आवाज उठाई उनको उठाकर जेल में भर दिया गया।
उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस का जिक्र करते हुए कहा कि इसके पत्रकार ने अपनी आवाज बुलंद की थी। बख्शी ने कहा, ‘आवाज मत बंद करो, आवाज बुलंद करो। आज एक एडिटर अरेस्ट हुआ है, कल तुम होगे। तमाशा बचा दिया गया। लोगों को सड़कों से उठा-उठाकर नशे काट दी गईं। क्योंकि उस समय यह आदेश था।’ इसके बाद पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा, ‘मसला ये नहीं है कि सवाल पूछना चाहिए या नहीं। प्रधानमंत्री का अडवाइजर कौन बनेगा, कौन मंत्री बनेगा जब पत्रकारिता वहां से शुरू होती है तो फिर ये संकट खड़ा होता है। अर्नब गोस्वामी एक ऐसा सिंबल है कि एक आम आदमी को इतना मजबूत कर दिया है कि नेताओं को घेरा जा रहा है।’
कुलश्रेष्ठ ने कहा, ‘अर्नब की पत्रकारिता ने बता दिया है कि कौन से मजहब हैं जो आतंकवाद फैला रहे हैं। लव जिहाद पैला रहे है।’ ऐक्टर गजेंद्र चौहान ने इस पर कहा, ‘अहंकार तो रावण का नहीं बचा था। पुत्रमोह में लोगों ने सत्ता गंवाई है। उसी पुत्रमोह में इनकी भी सत्ता जाएगी।’ मेजर जनरल बख्शी ने कहा, ‘पूरी दुनिया हमें देख रहीहै। हम सबसे बड़े लोकततंत्र हैं। हमारे यहां लोकतंत्र का मजाक बनाया जा रहा है। लोग पूछ रहे हैं कि एक राज्य स रकार पूरे देश में इमरजेंसी लगा सकती है।’ पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने इस पर टिप्पणी की कि यहां एक तरफा फ्रीडम ऑफ स्पीच थी।