उड़ीसा के दक्षिणी और पश्चिमी हिस्सों में उड़ीसा हाई कोर्ट की बेंच स्थापित करने की मांग के बीच, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने शनिवार को कहा भारत का सुप्रीम कोर्ट तिलक मार्ग का सर्वोच्च न्यायालय नहीं है।
तिलक मार्ग का सुप्रीम कोर्ट नहीं है बल्कि भारत का सुप्रीम कोर्ट- CJI चंद्रचूड़
CJI ने कहा, “भारत का सुप्रीम कोर्ट तिलक मार्ग का सुप्रीम कोर्ट नहीं है बल्कि यह भारत के लिए, भारत का, भारत के द्वारा सुप्रीम कोर्ट है। इसी तरह, प्रत्येक हाई कोर्ट वास्तव में राज्य की राजधानी के लिए हाई कोर्ट नहीं है।” CJI चंद्रचूड़ ने शनिवार (6 मई) को कटक में ओडिशा ज्यूडिशियल एकेडमी में डिजिटाइजेशन, पेपरलेस कोर्ट्स और ई-पहल पर नेशनल कॉन्फ्रेंस में कहा, “हर शब्द जो हम जज कोर्ट में कहते हैं, वह सोशल मीडिया के युग में सार्वजनिक दायरे में है। यह जजों के रूप में हमारे सामने नई मांगें रखता है।”
CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हर नागरिक के लिए न्याय की पहुंच हो
CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने राज्य के 30 जिलों में से 20 में वर्चुअल कोर्ट स्थापित करने के उड़ीसा हाईकोर्ट के प्रयासों की सराहना की। इन वर्चुअल कोर्ट में वकील अपने जिलों से हाईकोर्ट को संबोधित कर सकते हैं। CJI ने कहा कि जिलों में वर्चुअल कोर्ट की स्थापना ने उड़ीसा हाई कोर्ट को पूरे राज्य का सही मायने में प्रतिनिधि बनाया है और यह सुनिश्चित किया है कि राज्य भर में उन नागरिकों के लिए न्याय की पहुंच हो जो हाई कोर्ट तक पहुंचना चाहते हैं।
जजों को खुद को प्रशिक्षित करने की जरूरत- CJI डी वाई चंद्रचूड़
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कार्यक्रम क दौरान यह भी कहा कि टेक्नोलॉजी ने हाई कोर्ट की बेंचों की जरूरत को खत्म कर दिया है क्योंकि हर जिले में एक बेंच है जिसमें वर्चुअल कोर्ट है। कई हाई कोर्ट ने कार्यवाही का सीधा प्रसारण शुरू कर दिया है, CJI ने कहा कि इसका एक दूसरा पहलू भी है। उन्होंने कहा, “हम जजों को खुद को प्रशिक्षित करने की जरूरत है क्योंकि हम अब सोशल मीडिया के युग में काम कर रहे हैं। अदालत में हम जो भी कहते हैं वह सार्वजनिक क्षेत्र में होता है।”
(Story By- Sujit Bisoyi)