Arvind Kejriwal Granted Interim Bail: दिल्ली के कथित शराब घोटाले में जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को 1 जून तक अंतरिम जमानत दे दी है। हालांकि, 2 जून को उन्हें सरेंडर करना होगा और जेल में वापस जाना होगा। कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के चुनाव प्रचार करने पर कोई भी पाबंदी नहीं लगाई है। अब सब के मन में एक ही सवाल है कि केजरीवाल कब तक जेल से बाहर आएंगे।
सूत्रों की मानें तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज रात 7 से 8 बजे तक जेल से बाहर आ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत का आदेश देते हुए कुछ शर्तें भी लगाईं हैं। कोर्ट ने कहा कि सीएम दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े किसी भी गवाह से बात नहीं करेंगे। साथ ही आगे कहा कि जब तक जरूरी ना हो तब तक कोई भी फाइल साइन करेंगे। केस से जुड़ी अपनी भूमिका पर भी कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। केजरीवाल सीएम और दिल्ली सचिवालय नहीं जाएंगे।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी के उस आग्रह को खारिज कर दिया, जिसमें उन्हें 4 जून को परिणाम घोषित होने तक अंतरिम जमानत देने की मांग की गई थी। ईडी ने चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत का विरोध किया और कहा कि ऐसी कोई मामला नहीं है कि किसी राजनेता को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई हो। सुप्रीम कोर्ट ने तर्क दिया कि केजरीवाल को 21 दिन की अंतरिम जमानत देने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।
केजरीवाल आधिकारिक कर्तव्य नहीं निभा पाएंगे
दिल्ली के मुख्यमंत्री को लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने की अनुमति दी जाएगी। उनकी पत्नी सुनीता अब तक उनकी गैरमौजूदगी में रोड शो कर रही थीं। लेकिन केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिलने के बाद अब पार्टी को बड़ी राहत मिली है। हालांकि, वह अंतरिम जमानत के दौरान कोई भी आधिकारिक कर्तव्य नहीं निभा पाएंगे क्योंकि इसका दूसरों पर गहरा असर पड़ सकता है। पड़ सकता है।
क्या होती है अंतरिम जमानत
अंतरिम जमानत कम समय की अवधि के लिए होती है। कोर्ट इसको उस समय देता है जब रेगुलर बेल की एप्लीकेशन पर सुनवाई चल रही होती है। दरअसल जब कोई व्यक्ति रेगुलर बेल या नियमित जमानत की एप्लीकेशन दायर करता है तो कोर्ट इस मामले में चार्जशीट या केस डायरी की मांग करता है जिससे आम जमानत पर फैसला लिया जा सके। हालांकि इस पूरी प्रकिया में काफी समय लग जाता है।
कोर्ट तक दस्तावेज पहुंचने की अवधि में उस शख्स को हिरासत में रहना पड़ता है। ऐसे में हिरासत में रहने वाला शख्स अंतरिम बेल की मांग कर सकता है। जिससे कि वो शख्स उस अवधि तक जब तक कि दस्तावेज कोर्ट तक नहीं पहुंचते कस्टडी में रहने से राहत पा सके।