सुप्रीम कोर्ट ने इनकम टैक्स नोटिस को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार आयकर विभाग 1 अप्रैल 2021 के बाद भी पुराने आईटी एक्ट के तहत नोटिस जारी कर सकेगा। ऐसे में आयकर विभाग 90,000 से अधिक केस फिर से खोलने में सक्षम होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कराधान और अन्य कानून (TOLA) के तहत 1 अप्रैल 2021 के बाद भी नोटिस जारी किए जा सकते हैं।
हजारों करोड़ों रुपये से जुड़े हैं मामले
यह पुनर्मूल्यांकन नोटिस होगा। यह मामले 2013-14 से लेकर 2017-18 तक के हैं। यह हजारों करोड़ों रुपये से जुड़े मामले हैं। 1 अप्रैल 2021 को आईटी एक्ट का नया प्रावधान लागू हुआ था और इसमें कहा गया था कि विभाग संबंधित मूल्यांकन जारी वर्ष से 6 साल पहले तक के ही कर सकता है। इसमें 1 लाख या फिर उससे ज्यादा की इनकम होनी चाहिए। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 6 साल से पुराने मामले भी आयकर विभाग खोल सकता है।
2021 के नए प्रावधान के अनुसार इनकम टैक्स विभाग 50 लाख तक की छिपाई गई इनकम को लेकर 3 साल पहले तक के मामलों पर भी कार्रवाई कर सकता है। वहीं अगर छिपाई गई राशि 50 लाख से अधिक है तो 10 साल पहले तक के मामलों को भी खोला जा सकता है। हालांकि आयकर विभाग को रिएसेसमेंट नोटिस भेजने से पहले कारण बताओ नोटिस भी जारी करना होगा।
इनकम टैक्स विभाग ने 1 अप्रैल 2021 से लेकर 30 जून 2021 के बीच पुराने नियम के मुताबिक नोटिस भेजे थे। इसमें मामला यह था कि नए कानून के लागू होने के बाद भी पुराने कानून के तहत भेजे गए नोटिस लागू होंगे या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नोटिस लागू होंगे। ऐसे में 90 हजार मामले फिर से खुलेंगे।
इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट, इलाहाबाद हाई कोर्ट और गुजरात हाई कोर्ट ने सभी रिएसेसमेंट के नोटिस रद्द कर दिए थे। उनका कहना था कि नए प्रावधान ज्यादा उपयुक्त हैं और इससे टैक्सपेयर्स के अधिकारों और हितों की रक्षा होगी।