उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी को उनके पार्टी सहयोगी मोहम्मद यूसुफ तारीगामी से मिलिने के लिए जम्मू-कश्मीर जाने की इजाजत दे दी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की एक पीठ ने हालांकि येचुरी को निर्देश दिया कि जम्मू कश्मीर जा कर वह सिर्फ तारीगामी से मिलें और अपनी यात्रा का इस्तेमाल किसी भी राजनीतिक उद्देश्य के लिए न करें। पीठ ने कहा कि अगर येचुरी किसी भी तरह की राजनीतिक गतिविधि में शामिल होते हैं तो अधिकारी इस बारे में उच्चतम न्यायालय को बताने के लिए स्वतंत्र हैं।

येचुरी को यह इजाजत सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंदम गोगोई, एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एसए बोबडे की बेंच ने दी है। कोर्ट ने येचुरी को उनके मित्र और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता यूसुफ तारागामी से मिलने के लिए कश्मीर जाने की स्वीकृति दी है। साथ ही शर्त भी रखी है कि इस यात्रा के दौरान वह किसी भी तरह की राजनीतिक गतिविधियों में संलिप्त न हों। बता दें कि सीताराम येचुरी ने 19 अगस्त को अपनी याचिका दर्ज कराई थी और इस मामले की 26 अगस्त को सुनवाई होनी लेकिन किसी कारणवस नहीं हो पाई लिहाजा इसलिए आज इस पर फैसला सुनाया गया।

गौरतलब है कि जम्मू- कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद विपक्षी पार्टी के नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। पहले भी डी राजा और येचुरी कश्मीर गए थे तब उन्हें एयरपोर्ट पर ही हिरासत में ले लिया गया था। इस बात की जानकारी सीपीआई ने अपने ट्विटर हैंडल पर दी थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को भी श्रीनगर हवाईअड्डे पर भी रोक दिया गया था।

जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को केन्द्र सरकार द्वारा निष्प्रभावी घोषित किये जाने के बाद कांग्रेस नेता कश्मीर घाटी के हालात का जायजा लेने के लिये वहां पहुंचे थे। राहुल गांधी भी जम्मू-कश्मीर पहुंचे थे लेकिन उन्हें भी श्रीनगर एयरपोर्ट से वापस आना पड़ा था।