Damini Nath

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को रद्द कर दिया है। साथ ही उसने 6 मार्च तक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को 6 मार्च तक बॉन्ड खरीदने वालों और किस पार्टी के लिए खरीदा, इसका डेटा सौंपने को कहा था ताकि चुनाव आयोग इसे सावर्जनिक कर सके। हालांकि SBI ने 3 महीने का समय मांगा है।

पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने गुरुवार को कहा कि किसने, कब और कितने में चुनावी बांड खरीदे और किस पार्टी ने ईबी जमा की, तारीख और राशि के साथ इसका विवरण भारतीय स्टेट बैंक के पास उपलब्ध है, लेकिन प्रत्येक ईबी का उसके प्राप्तकर्ता के साथ मिलान किया जा रहा है।

सुभाष गर्ग आर्थिक मामलों के सचिव थे, जब 2017 में इलेक्टोरल बॉन्ड योजना तैयार की जा रही थी। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि डेटा प्रदान करने के लिए 3 महीने का समय और मांगने के लिए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एसबीआई का आवेदन एक बहाना है।

सुभाष गर्ग ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से खरीदे गए बॉन्ड, तारीख और राशि का विवरण मांगा था। जबकि एसबीआई के आवेदन में कहा गया है कि उसे दानदाताओं का दान से मिलान करने के लिए 30 जून तक का समय लगेगा क्योंकि डेटा अलग-अलग जगहों पर रखा गया है। सुभाष गर्ग ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं मांगा था। उन्होंने कहा कि बैंक अदालत को अलग दिशा में ले जाने की कोशिश कर रहा है।

सुभाष गर्ग ने कहा, “भले ही कोई इस बात पर ध्यान दे कि उन्होंने राशि अलग से दर्ज न की हो, लेकिन किसने, किस तारीख को, कितना चुनावी बॉन्ड खरीदा, इसकी जानकारी कंप्यूटर पर उपलब्ध है। इसी तरह बॉन्ड राशि किसने, कितनी और किस तारीख को जमा की, यह भी कंप्यूटर पर उपलब्ध है क्योंकि यह उनके खातों में जमा किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने बस इतना ही मांगा है।”

सुभाष गर्ग ने कहा कि डोनर का नाम खरीदे गए राशि के लिए उपलब्ध है। उन्होंने कहा, “चूंकि सभी बांड एसबीआई के पास वापस आ गए हैं, भले ही आपको किसी बॉन्ड की जानकारी मिल जाए, लेकिन आप यह निर्धारित नहीं कर सकते कि यह बॉन्ड किसने खरीदा था और किसने इसे जमा किया था। तो एसबीआई जो कह रहा है वह यह है कि हमें यह कनेक्शन जोड़ने के लिए इतना समय चाहिए होगा। यह एक मनगढ़ंत बहाना है।”