आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने शनिवार को दावा किया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ जेल में उनकी पत्नी सुनीता सहित उनके परिवार से व्यक्तिगत रूप से मिलने की अनुमति नहीं दी गई है। इस कदम को ‘अमानवीय’ बताते हुए संजय सिंह ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को ‘मुलाकात जंगला’ में अपने परिवार से मिलने की अनुमति नहीं दी जा रही है और वह केवल खिड़की के माध्यम से अपनी पत्नी को देख सकते हैं।
संजय सिंह ने कहा, “सीएम केजरीवाल का मनोबल तोड़ने की कोशिश की जा रही है। उनके परिवार को उनसे व्यक्तिगत रूप से मिलने की अनुमति नहीं दी गई है। उन्हें केवल जंगला के माध्यम से उनसे मिलने की अनुमति है। यह अमानवीय है। यहां तक कि कट्टर अपराधियों को भी व्यक्तिगत रूप से मिलने की अनुमति है।”
बता दें कि ‘मुलाकात जंगला’ एक लोहे की जाली होती है जो जेल के अंदर एक कमरे में कैदी को आगंतुक से अलग करती है। आगंतुक और कैदी जाली के अलग-अलग तरफ बैठकर एक-दूसरे से बात कर सकते हैं। संजय सिंह के दावे पर तिहाड़ प्रशासन की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मंगलवार को जेल के अंदर उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल और निजी सचिव बिभव कुमार से मिलने की अनुमति दी गई थी। इस बीच जेल अधिकारियों ने अरविंद केजरीवाल की पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से मुलाकात 15 अप्रैल के लिए निर्धारित की और कहा कि वह उनसे मिल सकते हैं।
इससे पहले संजय सिंह ने दावा किया था कि तिहाड़ जेल से अपने वकीलों के माध्यम से अपने विधायकों को संदेश भेजने के लिए अरविंद केजरीवाल के खिलाफ जांच शुरू की गई थी और उनकी बैठकों को रोकने की धमकी दी गई थी। आम आदमी पार्टी के एक बयान में संजय सिंह के हवाले से कहा गया, “मोदी सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पानी सहित दिल्लीवासियों को मुफ्त सुविधाएं प्रदान करने के लिए केजरीवाल को दंडित कर रही है। वे तिहाड़ को हिटलर के गैस चैंबर में बदलना चाहते हैं, जहां सीएम सार्वजनिक सेवा के लिए एक संदेश भी नहीं भेज सकते।”
21 मार्च को अपनी गिरफ्तारी के बाद से अरविंद केजरीवाल ने अपनी पत्नी और वकीलों के माध्यम से अपनी पार्टी के नेताओं को संदेश और दिल्ली के मंत्रियों को निर्देश भेजे हैं। संजय सिंह ने कहा, “जेल में अपने वकीलों के साथ केजरीवाल की बैठकों के दौरान आठ-नौ पुलिसकर्मी उनके आसपास रहते हैं। यह नियमों के खिलाफ है क्योंकि कैदियों को अपने वकीलों से निजी तौर पर बात करने की अनुमति है।”