दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों की हड़ताल के बाद गुरुवार से कचरा राजनीति शुरू हो गई है। नगर निगम के कई सफाई कर्मचारियों ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आधिकारिक आवास के बाहर प्रदर्शन किया और उनके वेतन के लिए तुरंत राशि जारी करने की मांग की। कुछ कर्मचारियों ने उप मुख्यमंत्री के आवास के बाहर कचरा फेंक दिया।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार इस साल की जो भी राशि तीनों निगमों की बनती थी, उसका भुगतान कर चुकी है। उन्होंने नगर निगम के नेताओं पर भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की वजह से निगमकर्मियों को उनके वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। उधर, दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय और तीनों निगमों के नेताओं ने उपमुख्यमंत्री सिसोदिया पर दिल्लीवासियों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उपाध्याय ने कहा कि दिल्ली में अराजकता का माहौल बन रहा है। हालात ऐसे ही रहे तो वे केंद्र सरकार से दिल्ली सरकार को भंग करने की सिफारिश करेंगे।

दिल्ली में तीनों निगमों के कर्मचारी गुरुवार को दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे। निगम कर्मचारी अपने रुके हुए दो-तीन महीने के वेतन की मांग कर रहे हैं। कर्मचारी यूनियनों ने अपनी मांगों को पूरा नहीं करने पर ‘अनिश्चितकाल’ के लिए काम बंद रखने की धमकी भी दी। मजदूर विकास संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष संजय गहलोत ने बताया कि कर्मचारियों को दो-तीन महीनों से उनका वेतन नहीं मिला है। बार-बार आग्रहों के बावजूद हमारी मांगें नहीं सुनी गर्इं। इसलिए वे लोग यहां पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

गहलोत ने दावा किया कि तीनों नगर निकायों के कर्मचारी इस हड़ताल में शामिल हैं। वेतन के अलावा कर्मचारी बकायों का भुगतान, अनुबंधित कर्मचारियों को नियमित करने और तीन निगमों के एकीकरण की मांग कर रहे हैं। पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) से जुड़े कर्मचारी पिछले साल अक्तूबर में इसी तरह की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए थे। लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद यह हड़ताल वापस ले ली गई थी।

हड़ताल के बीच दिल्ली में राजनीतिक दलों में आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला भी शुरू हो गया। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार, भाजपा और कांग्रेस ने एक-दूसरे पर दिल्ली के खराब हो रहे हालात को जिम्मेदार ठहराया। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने निगम कर्मचारियों क ी हड़ताल के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने नगर निगमों को राशि कर्मचारियों की तनख्वाह के लिए भी दी थी। उन्होंने कहा कि निगम कर्मचारियों की राशि कहां गई, उसकी जांच होनी चाहिए। गैर मदों के लिए तीनों निगमों को दी गई 90 फीसद राशि कर्मचारियों की तनख्वाह के लिए थी। उन्होंने सवाल किया कि निगम बताए कि वह राशि कहां गई। उन्होंने कहा कि यह शर्म की बात है कि निगम के नेता अपने कर्मचारियों से सच्चाई छिपा रहें हैं।

उधर, दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि दिल्ली में ऐसे ही हालात रहे तो दिल्ली चलेगी कैसे। आप की सरकार निगम के साथ सौतेला बर्ताव कर रही है। दिल्ली सरकार बिजली घोटाले की तो सीएजी से जांच करवाने की बात करती है, लेकिन जब मामला निगम का आता है, तो अपने अधीन एक अधिकारी से निगम के खातों की जांच की बात की जाती है। उन्होंने कहा कि यह दोहरा मापदंड क्यों है। उपाध्याय ने कहा कि नगर निगम में कर्मचारियों की तनख्वाह का अलग से कोई मद नहीं होता है। उपमुख्यमंत्री ये बताएं कि निगमों को तीसरे वित्त आयोग के हिसाब से उसकी राशि का भुगतान कर दिया गया है, या नहीं।