Samudrayaan Mission: चंद्रयान के बाद अब इसरो अपने महत्वकांक्षी समुद्रयान अभियान की तैयारी में लग गया है। इसरो ने समुद्रयान मिशन में बड़ी सफलता हासिल की है। रविवार को बंगाल की खाड़ी में समुद्र के अंदर कुछ टेस्ट सफलतापूर्वक पूरे गए। इसके बाद पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरन रिजिजू ने कहा कि समुद्रयान मिशन को 2025 के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कहा भारत समुद्र की गहराई में भी खोज करने के लिए तैयार है।
क्या है खासियत?
किरन रिजिजू ने कहा कि भारत समुद्र में 6 किमी की गहराई तक अपने वैज्ञानिकों की भेजने की तैयारी कर रही है। इस मिशन से समुद्र की गहराई में छिपे रहस्यों से पर्दा उठ सकेगा। यह पनडुब्बी वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों से लैस होगी और इसकी परिचालन क्षमता 12 घंटे होगी, जिसे आपात स्थिति में 96 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है। अब तक, अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और जापान जैसे देशों ने गहरे समुद्र में मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। भारत ऐसे मिशन के लिए विशेषज्ञता एवं क्षमता का प्रदर्शन करके इन देशों की श्रेणी में शामिल होने के लिए तैयार है।
इससे क्या फायदा होगा?
कोबाल्ट, मैंगनीज और निकल के अलावा, रासायनिक जैव विविधता, हाइड्रोथर्मल वेंट और कम तापमान वाले मीथेन का पता लगाया जाएगा। इस मिशन में भारत ‘मत्स्य’ सबमर्सिबल में तीन लोगों को भेजेगा। यह सबमर्सिबल 6000 मीटर की गहराई तक दबाव झेलने की क्षमता रखता है। यह सबमर्सिबल पानी के अंदर 12 से 16 घंटे तक लगातार काम कर सकता है। इसमें 96 घंटे के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन सिस्टम होगा। ‘मत्स्य’ 6000 सबमर्सिबल समुद्र में जहाज के संपर्क में रहेंगे। मत्स्य 6000 25 टन का है और इसकी लंबाई 9 मीटर और चौड़ाई 4 मीटर है।
6000 करोड़ का है बजट
इस पूरी समुद्रयान परियोजना के लिए छह हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। इसमें लगे सबमर्सिबल को मत्स्य-6000 नाम दिया गया है। इसे टाइटेनियम धातु से बना है। इसका व्यास 2.1 मीटर है। यह यान तीन लोगों को समुद्र की गहराई में ले जाने में सक्षम है।
इनपुट- भाषा