गुजरात में कच्छ के मुंद्रा बंदरगाह से जब्त की गई हेरोइन के मामले में एक और खुलासा हुआ है। पता चला है कि लगभग इतनी ही मात्रा की एक खेप इसी साल 9 जून को भी आई थी। उल्लेखनीय है कि 13 सितंबर को कच्छ बंदरगाह से डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने 2,988 किलोग्राम हेरोइन बरामद की थी। इसकी कीमत लगभग 21,000 करोड़ रुपये आंकी गई है और इस मामले में अब तक 8 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।
डीआरआई और कस्टम की लापरवाही : माना जा रहा है कि इस साल जून में अफगानिस्तान से आई ड्र्ग्स की खेप डीआरआई और कस्टम की लापरवाही का नतीजा थी। इसमें DRI और कस्टम के कुछ अधिकारी भी शक के दायरे में हैं।
दिल्ली के पते पर हुआ था चालान: डीआरआई के मुताबिक हेरोइन ले जाने वाले कंटेनर्स को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा स्थित आशी नामक ट्रेडिंग फर्म ने आयात किया था। इस फर्म ने ड्रग्स की खेप को ‘टेल्कम पाउडर’ बताया था। इस खेप को अफगानिस्तान के कंधार स्थित हसन हुसैन लिमिटेड नाम से एक फर्म ने निर्यात किया था, इसके चालान पर दिल्ली के अलीपुर निवासी कुलदीप सिंह का नाम था। डीआरआई (DRI) और कस्टम विभाग की टीम ने जब इसकी जांच की तो पता चला कि टेलकम पावडर के नाम पर करोड़ो रुपये की ड्रग्स की सप्लाई का खेल चल रहा था।
डीआरआई ने आशी ट्रेडिंग फर्म चलाने वाले दंपति सुधाकर और वैशाली को 17 सितंबर को ही चेन्नई से हिरासत में ले लिया था। जिसके बाद भुज की कोर्ट ने इन दोनों को 10 दिनों की रिमांड पर DRI को सौंप दिया था। सूत्रों की मानें तो सुधाकर ने बताया है कि ‘दोनों खेपों को भारत लाने के लिए हसन हुसैन लिमिटेड के लिए अमित नाम का शख्स लोकल मैनेजमेंट का काम देखता था। यह खेप किसके लिए यहां आई थी यह जानकारी अमित ही दे सकता है।’
अबतक 8 गिरफ्तार: सूत्रों के अनुसार, भुज की एक अदालत को डीआरआई ने जानकारी दी है कि ड्रग्स की खेप आयात करने वाले लोग “अफगान और ईरानी नागरिकों” के संपर्क में थे।” ऐसे में ये मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जोड़कर देखा जा रहा है। फिलहाल इस मामले में अभी तक कुल 8 लोगों की गिरफ्तारी हुई है जिसमें 4 अफगानी भी शामिल हैं। वहीं जांच में ड्रग्स की मात्रा 3004 पहुंच गई है।