Mulayam Singh Yadav Dies at 82: समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने सोमवार(10 अक्टूबर) को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। आज वो भले ही इस दुनिया में न हो लेकिन उनसे जुड़े किस्से लोगों के जेहन में ताजा हैं। एक किस्सा सैफई के लोगों और मुलायम सिंह यादव के बीच रिश्ते को बयां करता है। दरअसल साल 1967 की है। उस वक्त विधानसभा चुनाव हो रहे थे लेकिन वो दौर ऐसा था कि मुलायम सिंह यादव के पास चुनाव लड़ने के पैसे नहीं थे।

चुनाव लड़ने के नहीं थे पैसे:

मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन पैसे न होने के चलते चुनावी खर्च के लिए पैसों का इंतजाम नहीं हो पा रहा था। इस बीच चुनाव प्रचार के मुलायम सिंह यादव के घर पर गांव वालों की बैठक हुई। इस बैठक गांव के सभी जाति के लोग शामिल हुए। चुनाव पर चर्चा हुई तो बैठक में गांव के ही सोनेलाल शाक्य ने तरीका बताया कि अगर हम गांव वाले शाम के समय का खाना न खाएं तो मुलायम सिंह यादव की गाड़ी आठ दिन तक चल जाएगी।

गांववालों ने छोड़ा था एक वक्त का खाना:

सोनेलाल के इस प्रस्ताव को सभी गांववालों की मंजूरी मिल गई। बस फिर क्या था, गांववालों ने एकजुट हो मुलायम सिंह यादव को चुनाव लड़वाने के लिए एक वक्त खाना छोड़ दिया। इस सामूहिक प्रयास में मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़े और इटावा जिले की जसवंतनगर सीट से यूपी विधानसभा पहुंचे।

आपका पैसा ब्याज सहित वापस कर दूंगा:

चुनावी मैदान में कूदने केदौरान मुलायम सिंह यादव अपने प्रचार के दौरान गांववालों से चंदा मांगते। वे कहते कि आप अपना एक वोट और एक नोट (एक रुपया) हमें दें, चुनाव जीतने के बाद आपके पैसे को ब्याज सहित वापस कर दूंगा। मुलायम सिंह यादव की यह बात लोगों के दिलों तक जाती और लोग जोश में खूब तालियां भी बजाते।

तीन दिन का राजकीय शोक:

बता दें कि मुलायम सिंह यादव को अक्टूबर की शुरुआत में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। उनके निधन से कुछ दिन पहले से ही उनकी हालत क्रिटिकल बनी हुई थी। वहीं सोमवार की सुबह 8:16 पर उनका निधन हो गया। गौरतलब है कि उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव सैफई में 11 अक्टूबर की शाम 3 बजे होगा। इस बीच यूपी की योगी सरकार ने राज्य में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।