Sadhguru Isha Foundation Case: सुप्रीम कोर्ट से सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन को बड़ी राहत मिली है। ईशा फाउंडेशन की जांच वाले मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। जिस मामले में मद्रास हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया था, उसे भी सुप्रीम कोर्ट ने अपने पास ट्रांसफर कर लिया है। यानी अब इस पूरे मामले को सुप्रीम कोर्ट खुद देखेगा।
शीर्ष अदालत ने गुरुवार को कहा, ‘आप सेना या पुलिस को इस तरह के संस्थान में प्रवेश नहीं करने दे सकते। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट में लंबित याचिका को भी अपने पास ट्रांसफर कर लिया। जिसमें हाई कोर्ट ने पुलिस को सद्गुरु के ईशा योग फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों पर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश के आधार पर आगे की पुलिस कार्रवाई पर भी रोक लगा दी। पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में पुलिस द्वारा स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
फाउंडेशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ के समक्ष दलील दी कि आश्रम का रिकॉर्ड बेदाग है और जिन दो महिलाओं को जबरन बंधक बनाकर रखने का आरोप है , वे मद्रास हाई कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुईं और कहा कि वे अपनी इच्छा से वहां थीं।
केंद्र का प्रतिनिधित्व करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि मद्रास हाई कोर्ट को आदेश पारित करने से पहले अधिक सतर्क रहना चाहिए था।
महिलाओं में से एक ने भी शुरुआत में बेंच के सामने ऑनलाइन पेश होकर कहा कि वे मद्रास हाई कोर्ट के समक्ष पेश हुई थीं। उसने कहा कि हम अपनी मर्जी से ईशा योग केंद्र में हैं। और, हमने हाई कोर्ट के माननीय न्यायाधीश को यह भी बताया कि हमारे पिता की ओर से यह उत्पीड़न पिछले 8 वर्षों से जारी है।
बाद में, सर्वोच्च न्यायालय की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि वह अपने कक्ष में दोनों महिलाओं से ऑनलाइन बातचीत करेगी।
दोनों महिलाओं से बातचीत करने के बाद सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने बताया कि वे अपनी मर्जी से ईशा फाउंडेशन आश्रम में आई हैं। महिलाओं ने यह भी बताया कि पुलिस दो दिन तक आश्रम में थी, लेकिन बुधवार रात को चली गई।
मंगलवार को कोयंबटूर ग्रामीण पुलिस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में 150 पुलिसकर्मी पूछताछ करने के लिए ईशा फाउंडेशन के आश्रम में घुसे। पुलिस की यह कार्रवाई मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों पर रिपोर्ट मांगे जाने के एक दिन बाद हुई।
सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. एस कामराज द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनकी दो बेटियों, गीता (42) और लता (39) को कोयंबटूर स्थित फाउंडेशन में बंदी बनाकर रखा गया है, हाई कोर्ट ने पुलिस को जांच करने और रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया।
(अनंथाकृष्णन जी की रिपोर्ट)