गुजरात के राजनीतिक इतिहास पर राज्य के एक बोर्ड द्वारा प्रकाशित संदर्भ पुस्तक के मुताबिक फरवरी 2002 में साबरमती ट्रेन (Sabarmati Express Godhra incident) को जलाना कांग्रेस की साजिश थी। 59 कारसेवकों की मौत और राज्य में बड़े दंगों का कारण बनी यह घटना 2002 में हुई थी। किताब के मुताबिक इसमें गोधरा से निर्वाचित कांग्रेस सदस्य ने इसकी साजिश रची थी।
कानूनी राय लेगी कांग्रेसः कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अमित चावडा ने इसे विश्वविद्यालय ग्रंथ निर्माण बोर्ड (यूजीएनबी) के भगवाकरण का बीजेपी सरकार का प्रयास करार दिया। यूजीएनबी ने इस गुजराती पुस्तक का प्रकाशन किया है। कांग्रेस ने कहा कि वह गोधरा ट्रेन अग्निकांड में अदालत के फैसले को ‘तोड़ने-मरोड़ने’ को लेकर लेखक के खिलाफ कानूनी राय लेगी।
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दंगों में मारे गए थे 1000 से ज्यादा लोगः ‘गुजरात नी राजकीय गाथा’ शीर्षक वाली किताब का प्रकाशन दिसंबर 2018 में हुआ था और इसका संपादन पूर्व बीजेपी सांसद और बोर्ड की मौजूदा उपाध्यक्ष भावनाबेन दवे ने किया है। गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती ट्रेन का डिब्बा जलाए जाने के बाद गुजरात के इतिहास में सबसे भीषण दंगे हुए थे जिसमें 1000 से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी थी।’
किसके हाथ में बोर्ड की बागडोर?: किताब के एक गद्यांश में लिखा है, ‘एक स्थिर सरकार को अस्थिर करने के लिये 27 फरवरी 2002 को एक साजिश रची गई। साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे को आग लगा दी गई जिसमें अयोध्या से कारसेवक लौट रहे थे। 59 कारसेवकों की जलकर मौत हो गई थी। यह साजिश गोधरा से कांग्रेस के निर्वाचित सदस्य द्वारा रची गई थी।’ प्रदेश का शिक्षा मंत्री इस बोर्ड का अध्यक्ष होता है और इसे केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से विश्वविद्यालय स्तर पर क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यपुस्कों और संदर्भ पुस्तकों के प्रकाशन के लिये धन जारी किया जाता है।
सह-लेखिका ने दी प्रतिक्रियाः किताब की सह लेखिका भावनाबेन दवे ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘अदालत द्वारा पारित आदेश सभी के देखने के लिए हैं और मुझे इस बारे में कुछ नहीं कहना। कांग्रेस को अगर लगता है तो वह आपत्ति दर्ज करा सकती है। कांग्रेस अपनी विफलताओं को देखती है और उनके बारे में बुरा महसूस करती है तो यह उसकी समस्या है। किताब तथ्यात्मक विवरण से भरी पड़ी है। लेकिन इसके बावजूद कोई उनकी सरकार की उपलब्धियों की तुलना दूसरी सरकारों से करता है और मुद्दे तलाशता है तो यह उसकी समस्या है न कि किताब की।’

