सबरीमाला विवाद पर विरोध जताने के लिए कांग्रेसी काली पट्टी बांध कर संसद भवन पहुंचे थे, पर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया था। दरअसल, सोनिया के उन्हें मना करने के पीछे एक खास वजह थी। वह उस दौरान बोलीं कि कांग्रेस ऐसी पार्टी है, जो कि लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों की बात करती है। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें यह विरोध नहीं करना चाहिए। यह पार्टी के खिलाफ जा सकता है।

बता दें कि केरल के प्राचीन सबरीमाला मंदिर में करीब 40 वर्ष की दो महिलाएं हाल ही में प्रवेश कर गई थीं। केरल कांग्रेस ने इसका जमकर विरोध किया था। उन्होंने इसके खिलाफ ‘काला दिवस’ का आह्वान किया था, जिसका समर्थन करने कांग्रेसी सांसद बुधवार (दो जनवरी) दोपहर बांह पर काली पट्टियां बांध कर सदन पहुंचे।

सूत्रों के मुताबिक, यूपीए अध्यक्ष की नजर जैसे ही उन काली पट्टियों पर पड़ी, उन्होंने सांसदों से उन्हें बांधने से रुकवा दिया। वह बोलीं, “आप लोग स्थानीय राजनीति को ध्यान में रखते हुए केरल में इस चीज को लेकर विरोध जारी रख सकते हैं, पर राष्ट्रीय स्तर पर यह सांसदों को मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर विरोध और आपत्ति नहीं जतानी चाहिए। यह कदम पार्टी के खिलाफ जा सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कांग्रेस लैंगिक समानता और महिला अधिकारों की बात करती है।”

मौजूदा समय में लोकसभा में केरल के सात संसद हैं। तीन महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी थी, जबकि सीपीएम के नेतृत्व वाली मुख्यमंत्री पिनरई विजयन की सरकार ने मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं की एंट्री का समर्थन किया था।

केरल कांग्रेस के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने आरोप लगाया कि मंदिर में दो महिलाओं की एंट्री साजिश का हिस्सा थी, जिसे सीएम ने रचा था। वह इसके जरिए हिंदू वोट बैंक को बांटना चाहते हैं। वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस ने सबरीमाला केस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन किया था। खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंदिर में सभी आयु की महिलाओं के प्रवेश की वकालत की थी।