Sabarimala Temple Protests Today Latest News, Sabarimala Hartal Today Kerala: केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश का मसला गुरुवार (18 अक्टूबर) को भी गरमाया रहा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी मंदिर में इस आयुवर्ग की महिलाओं को एंट्री न मिल सकी। सबरीमाला संरक्षण समिति और अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने इसे लेकर कई हिस्सों में एकजुट होकर विरोध जताया। राज्य में बुधवार (17 अक्टूबर) मध्यरात्रि से एक दिवसीय बुलाया गया था, जिसका मिला-जुला असर देखने को मिला। एक जगह पर धारा 144 का उल्लंघन करने पर छह भाजयुमो कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने मंदिर जाने के मुख्य प्रवेश मार्ग निलक्कल में धरनारत भाजयुमो कार्यकर्ताओं को वहां से हटाया।
वहीं, सबरीमाला के मुख्य पुजारी कंदारू राजीवारू ने उन खबरों को खारिज किया कि पूजा के लिए एक खास आयुवर्ग की महिलाओं के भगवान अयप्पा मंदिर में प्रवेश करने पर मंदिर को तंत्री परिवार द्वारा बंद कर देने की योजना है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस बारे में कुछ खबरें के व्यापक रूप से साझा किए जाने के बाद मंदिर परिसर, सन्निधानम में ये बातें कहीं।
हालांकि, मुख्य पुजारी ने 10 से 50 आयुवर्ग की महिलाओं से सन्निधानम न आने और समस्या नहीं पैदा करने की अपील की। आपको बता दें कि इस आयुवर्ग में रजस्वला की स्थिति को लेकर 10-50 वर्ष की उम्र वाली महिलाओं के मंदिर में प्रवेश का विरोध किया जा रहा है।
उन्होंने बताया, “मासिक पूजा और अनुष्ठान करना हमारा कर्तव्य और जिम्मेदारी है। हम परंपरा नहीं तोड़ेंगे। हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। पर श्रद्धालुओं की भावनाओं और मंदिर की परंपरा एवं रीति रिवाज पर विचार करते हुए मैं महिलाओं से यहां न आने का अनुरोध करता हूं।”
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केरल के पथनमथिट्टा के जिलाधिकारी पीबी नूथ ने कहा, "फिलहाल हालात शांत हैं। किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है। पंपा और सन्निधनम में सक्षम संख्या में पुलिस बल तैनात है। वहां कोई दिक्कत नहीं है। धारा 144 दो दिनों तक लागू रहेगी, जिसके बाद स्थिति के हिसाब से आगे फैसले लिए जाएंगे।"
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) केरल के अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई ने विरोध प्रदर्शन के दौरान महिला पत्रकारों पर हुए हमले को लेकर कहा है कि यह वाकई में दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने आरोप लगाया कि इसके पीछे कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) का हाथ है। उन्होंने महिला पत्रकारों को पीटा। 300 पुलिसकर्मी जिनकी ट्रेनिंग भी पूरी नहीं हुई है, उन्हें मौके पर तैनात किया गया है।
बकौल राजीवरू, "कोर्ट सिर्फ कानून के बारे में सोचता है। वह प्रथा और परंपराओं के बारे में नहीं सोचता। अभी भी ढेर सारे श्रद्धालु चाहते हैं कि पुरानी परंपरा बरकरार रहे। मेरा इस पर सिर्फ एक मत है, जो कि पुरानी परंपरा और प्रथा पर आधारित है।"
सबरीमाला मंदिर के मुख्य पुजारी खंडरारू राजीवरू ने इस बीच कहा, "यह खतरनाक स्थिति है। ज्यादातर श्रद्धालु कोर्ट के फैसले के बाद उतावले हैं। मेरी गुजारिश है कि वे थोड़ा संयम बरतें और मंदिर के तौर-तरीकों का पालन करें। मैं हिंसा का बिल्कुल समर्थन नहीं करता हूं। ये श्रद्धालुओं ने नहीं बल्कि किसी और ने की होगी।"
हड़ताल के कारण कोच्चि में राज्य परिवहन निगम बस सेवा ठप है, जबकि मंदिर में घुसने के लिए श्रद्धालु कूद-फांद करते नजर आए। एरुमेली बेस कैंप वाले इलाके में भी धारा 144 लागू किए जाने की खबर है। आपको बता दें कि विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद और सबरीमाला संरक्षण समिति मंदिर में 10-50 साल की महिलाओं को एंट्री न देने को लेकर अड़े हैं।
केरल में प्राचीन सबरीमाला मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। खास बाता है कि यह एक साल में सिर्फ 127 दिन के लिए ही खुलता है और वहां पहुंचने के लिए जंगल के रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है। सोमवार (22 अक्टूबर) को इसके कपाट फिर से बंद हो जाएंगे।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, हड़ताल के दौरान हालात काबू से बाहर न जाएं, इसलिए राज्य सरकार ने कई तरह के इंतजामात किए हैं। पंबा और निलक्कल में तकरीबन 700 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है, जिनमें 100 महिलाएं भी शामिल हैं। ये मंदिर से पहले पड़ने वाले दो बेस कैंप हैं।
ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेंस एसोसिएशन की सचिव कविता कृष्णन ने एक अंग्रेजी चैनल को बताया, "हम जिस चीज के गवाह बन रहे हैं, वह वाकई में बेहद हैरान करने वाला मंजर है। ये श्रद्धालु नहीं हैं, जो हिंसा फैला रहे हैं। हिंसा का सहारा लेकर इस मसले पर राजनीति हो रही है।"
केरल के सनिधनम मंदिर में एक श्रद्धालु ने स्थानीय मीडिया को बताया, "कुछ मंदिरों में प्रथाओं का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए। कोर्ट का आदेश सभी महिलाओं के लिए आया है। पर पिछले 50-70 साल में 10 से 50 की कोई महिला मंदिर में नहीं गई। यह हमारी मान्यता, क्योंकि हम हिंदुत्व में यकीन रखते हैं।"
केरल के मशहूर सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर अभी भी बवाल जारी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी इस आयु वर्ग की महिलाओं को बुधवार (17 अक्टूबर) को मंदिर में प्रवेश न मिला पाया। यहां दो प्रमुख दक्षिणपंथी संगठनों ने कोर्ट के फैसले का विरोध करते हुए कल प्रदर्शन किया। मध्य रात्रि से उन्होंने राज्य में एक दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया।
केरल में तिरुवनंतपुरम रेंज के आईजीपी ने एएनआई से कहा कि वह हर किसी को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए तैयार हैं। यह उनका काम है कि वह सभी श्रद्धालुओं व लोगों की सुरक्षा करें। घटनास्थल पर और पुलिस बल तैनात किया जाएगा। साथ ही जगह-जगह सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की जाएगी। उन पर (सुहासिनी) वापस लौटने का दबाव नहीं बनाया गया, बल्कि वह खुद पीछे हटीं।
न्यूयॉर्क टाइम्स से जुड़ीं पत्रकार सुहासिनी राज भी मंदिर आ रही थीं। पर उन्हें बीच रास्ते ही प्रदर्शनकारियों ने वापस लौटने पर मजबूर कर दिया। पुलिस का कहना है कि जब वह मराकूट्टम पहुंची थीं, तो उन्होंने भीड़ देखकर लौटने का फैसला ले लिया था। पुलिस भी उन्हें ले जाने को राजी थी।
कोच्चि में आज केरल राज्य परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की सेवा बंद है। बुधवार को एक केएसआरटीसी की बस में निलक्कल बेस कैंप के पास लका इलाके में तोड़फोड़ की गई थी। सबरीमाला संरक्षण समिति ने राज्य में आज एक दिवसीय बंद बुलाया है। (फोटोः एएनआई)
केरल के प्रख्यात सबरीमाला मंदिर में जाने के लिए गुरुवार को श्रद्धालु पवित्र पथिनेत्तम पदि को फांद गए। (फोटोः ANI)