विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार (28 अक्टूबर, 2022) को आतंकवाद के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मुंबई में हो रही बैठक में खरी-खरी सुनाई है। उन्होंने मुंबई हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि यूएनएससी आतंकवाद पर लगाम लगाने में नाकाम रहा है क्योंकि राजनीति आड़े आई। उन्होंने यहां तक कह दिया कि आज भी मुंबई के 26/11 आतंकी हमले के सूत्राधारों को बचाया जा रहा है और उन्हें सजा नहीं मिल सकी है।

जयशंकर ने कहा, “मुंबई हमलों को अंजाम देने वाले आतंकियों में से एक को पकड़ा गया, उस पर मुकदमा चला और भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उसे सजा सुनाई, लेकिन हमले के मुख्य साजिशकर्ता अभी भी सुरक्षित हैं।” उन्होंने आगे कहा कि जब भी इन आतंकियों को प्रतिबंधित करने की बात आई तो, सुरक्षा परिषद राजनीति के कारण कार्रवाई करने में असमर्थ रहा है। यह हमारी सामूहिक विश्वसनीयता और हमारे सामूहिक हितों को कमजोर करता है।

वहीं, टेरर फंडिंग पर बात करते हुए, जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करने और उसे रोकने के लिए फंडिग को रोकना बहुत जरूरी है क्योंकि पैसा आतंकवाद की जीवनदायिनी है। उन्होंने कहा कि टेरर फंडिग के कारण आतंकवाद का असतित्व बना हुआ है और फलफूल रहा है।

आतंकवाद पर रोक लगाने के लिए जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र के सामने पांच बिंदुओं का उल्लेख किया। इसमें उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना FATF का भी जिक्र किया, जिसने हाल ही में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटा दिया है। जयशंकर ने जिन पांच बिंदुओं पर बात की है वह हैं-

  • टेरर-फंडिंग का मुकाबला करने के लिए प्रभावी और निरंतर प्रयास; संयुक्त राष्ट्र के नियामक प्रयासों को एफएटीएफ जैसे अन्य मंचों के सहयोग से समन्वित करने की आवश्यकता है।
  • सुनिश्चित करना कि सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध व्यवस्था राजनीतिक कारणों से अप्रभावी है।
  • आतंकवादियों और उसके साजिशकर्ताओं के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग और ठोस कार्रवाई। इसमें आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म करना आदि शामिल हैं।
  • हथियारों और अवैध मादक पदार्थों की तस्करी जैसे अंतरराष्ट्रीय अपराध के साथ आतंकवाद की सांठगांठ अब स्थापित हो गई है। इसकी पहचान करना जरूरी है।
  • आतंकवादी समूहों ने टेरर फंडिग में विविधता लाई है। आतंकवाद द्वारा इस्तेमाल की जा रही नई तकनीक की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए नए समाधानों की आवश्यकता है।