जासूसी के मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोल रही कांग्रेस के लिए यह खबर परेशान करने वाली है। सूचना का अधिकार (RTI) के तहत मिली जानकारी के मुताबिक यूपीए शासन काल में हर महीने औसतन 7500 से 9000 फोन और 300 से 600 ई-मेल आईडी इंटरसेप्ट होते थे। समाचार एजेंसी एएनआई ने एक आरटीआई के जवाब की कॉपी ट्वीट की है, जो गृह मंत्रालय से जारी की गई है। यह पत्र नई दिल्ली के प्रसेनजीत मंडल को 06 अगस्त 2013 को भेजी गई है। पत्र में लिखा है कि औसतन 7500 से 9000 फोन केंद्र सरकार के आदेश पर हरेक महीने इंटरसेप्ट होता था। मंत्रालय ने इससे आगे की जानकारी देने से इनकार किया था। यह पत्र राजेश कुमार गुप्ता, निदेशक (आंतरिक सुरक्षा) की तरफ से जारी किया गया था।
बता दें कि गृह मंत्रालय ने गुरुवार (20 दिसंबर) को एक आदेश पारित किया है, जो गजट में प्रकाशित हुआ है। उसके मुताबिक देश की 10 जांच एजेंसियां किसी के कम्प्यूटर, मोबाइल, लैपटॉप और उसके डेटा आदि को इंटरसेप्ट, मॉनिटरिंग कर सकते हैं। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया है और आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार देश को सर्विलांस स्टेट में बदलना चाहती है। कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि मोदी सरकार इन्फॉर्मेशन एक्ट की आड़ में ऐसे आदेश पारित कर लोगों के बेडरुम में घुसकर लिंचिंग कराना चाहती है।
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, नरेंद्र मोदी सरकार को 3 एस – ‘स्नूपिंग’, ‘स्कैनिंग’ और ‘सर्विलांस’- तथा निजता के घोर अनादर के लिए जाना जाता है। दस एजेंसियों को कम्प्यूटरों को इंटरसेप्ट करने का अधिकार देने का हालिया कदम दिखाता है कि वह धौंस जमाने की प्रवृत्ति से पीड़ित है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस देश को सर्विलांस में बदलने से भाजपा सरकार को रोकने के लिए जी जान से इस कदम का विरोध करेगी। यह मौलिक अधिकारों और निजता के अधिकार पर हमला है। सिंघवी ने वित्तमंत्री अरुण जेटली की भी आलोचना की। उधर, जेटली ने दावा किया कि सूचनाओं के इंटरसेप्ट के लिए एजेंसियों को प्राधिकृत करने के लिए नियम 2009 में बनाए गए थे जब कांग्रेस नीत यूपीए की सरकार सत्ता में थी।